विधायक पुत्र के फरमान पर मुस्लिम कर्मचारी हटाए गए :: लव जिहाद का आरोप
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इंदौर // ३०/०९/२५ , यहां के शीतला माता कपड़ा बाजार से मुसलमान सेल्समैन और व्यापारियों को हटाने की कोशिश किसी प्रशासनिक या सरकारी आदेश का नतीजा नहीं है, बल्कि स्थानीय बीजेपी विधायक के बेटे एकलव्य सिंह गौड़ के दबाव और लव जिहाद के आरोपों पर आधारित है। उनके आदेश के बाद यहाँ से लगभग दर्जनों मुस्लिम कर्मचारी और दुकानदार बेरोजगार हो गए हैं |
कपड़ा बाजार को लेकर 25 अगस्त को एक बंद कमरे में बैठक होती है | बैठक में एकलव्य सिंह गौड़ ने व्यापारियों से कहा कि मुस्लिम सेल्समैन और दुकानदारों को हटा दिया जाए क्योंकि वे महिला ग्राहकों को लव जिहाद में फंसा रहे हैं। उनके इस आदेश के बाद कई दुकानदारों ने मुस्लिम कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया और मुस्लिम व्यापारियों को दुकानें खाली करनी पड़ीं।कपड़ा व्यापार संघ के अध्यक्ष और व्यापारी संगठन ने सीधे कहा है कि वे एकलव्य भैया के आदेश का पालन कर रहे हैं इस फरमान के बाद अनेकों मुस्लिम कर्मचारी और कई व्यापारी रोजगार और दुकान खो चुके हैं।हिंदू–मुस्लिम साझेदारी में चल रही दुकानें भी बंद करनी पड़ीं, जिससे हिंदू साझेदारों की भी रोजी-रोटी प्रभावित हुई।कई परिवार अब बेरोज़गारी और आर्थिक संकट में हैं।
भाजपा के ज्यादातर स्थानीय नेता गण इस मामले पर मौन व्रत धारण किये हैं | पुलिस को कुछ पता नहीं है क्योंकि उन्हें कोई शिकायत नहीं मिली | मुस्लिम समुदाय ने 15 सितंबर को संभागायुक्त को ज्ञापन भी दिया था।कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने आरोप लगाया कि यह सांप्रदायिकता बढ़ाने और मुस्लिमों के संवैधानिक अधिकार छीनने का मामला है।
कानून और सवाल
इस मामले को लेकर अनेकों सवाल खड़े होते हैं। इस तरह निर्णय धार्मिक आधार पर रोज़गार से वंचित करने जैसा है, जो संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता), 15 (भेदभाव का निषेध) और 19(1)(g) (व्यवसाय करने का अधिकार) का उल्लंघन करता है।
प्रशासन की चुप्पी भी सवाल खड़े करती है।
व्यापारी संगठन और नेताओं के बयानो से साफ हैं कि यह आदेश संवैधानिक नहीं बल्कि सांप्रदायिक राजनीति और हिंदूवादी छवि बनाने की रणनीति का हिस्सा है।
यानी, मुसलमानों को इंदौर के कपड़ा बाज़ार से हटाए जाने की वजह किसी कानूनी शिकायत या प्रशासनिक निर्णय से नहीं, बल्कि स्थानीय राजनीतिक नेतृत्व के दबाव और लव जिहाद की राजनीति से जुड़ी है। अगर कपड़ा बाजार से लव जिहाद के मामले आए हैं तो उनको भी सामने लाना चाहिए था,सिर्फ कौआ कान ले गया सुन कर कौआ के पीछे नहीं दौड़ना चाहिए
