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मध्य प्रदेश में महिला अपराध की स्थिति चिंताजनक के बावजूद सरकार की उदासीनता

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मध्य प्रदेश में महिला अपराध की स्थिति चिंताजनक के बावजूद सरकार की उदासीनता

डॉक्टर सैयद खालिद कैस 

भोपाल 

मध्य प्रदेश में 2003 से भाजपा की सरकार है, कमलनाथ सरकार के यदि कार्यकाल को हटा दिया जाए तो सुश्री उमाश्री भारती से आरंभ हुआ यह शासन बाबूलाल गौर के बाद लगभग 20वर्ष जगत मामा शिवराज सिंह चौहान का रहा। उनकी लोकलुभावनी घोषणाओं और महिलाओं के प्रति समर्पण रूपी योजनाओं का ही परिणाम रहा कि वह एक लंबे समय तक सत्ता में कायम रहे। प्रदेश का पिछला विधानसभा चुनाव भी शिवराज मामा ने महिलाओं के लिए चलाई योजनाओं की आड़ में जीता, यह अलग बात है कि संगठन ने उनके स्थान पर प्रदेश की कमान मोहन यादव को सौंप दी, जिसकी किसी को कोई आशा नहीं थी। लेकिन एक बात जो दिखाई दी, वह थी 2003में प्रदेश में बनी पहली महिला मुख्यमंत्री उमाश्री भारती के समय से लेकर आज तक प्रदेश में महिला अपराधों पर सरकार का नियंत्रण नहीं होना जिसके परिणामस्वरूप आज प्रदेश महिलाओं के लिए असुरक्षित प्रदेशों की सूची में आला पायदान पर है। मध्य प्रदेश में महिला अपराधों की स्थिति काफी चिंताजनक है। एनसीआरबी की रिपोर्ट के अनुसार, मध्य प्रदेश में महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। मध्यप्रदेश महिला अपराधों के मामले में चौथे पायदान पर है। उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और राजस्थान में अधिक मामले दर्ज हुए हैं। मध्य प्रदेश में 2020 में महिला अपराध के 25,640 मामले दर्ज हुए थे, जबकि 2021 में यह संख्या बढ़कर 30,673 हो गई, जो लगभग 1% की वृद्धि दर्शाती है। 2022 में महिलाओं के खिलाफ अपराध के 32,765 मामले दर्ज हुए, जो देश में चौथे स्थान पर है। मध्य प्रदेश में 2022 में बलात्कार के 5996 मामले दर्ज हुए थे, जो देश में तीसरे स्थान पर है। मध्य प्रदेश में महिलाओं के खिलाफ अपराध की दर 10% है, जो कि एक चिंताजनक आंकड़ा है। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़ों के अनुसार, मध्य प्रदेश में महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। वर्ष 2022 में महिलाओं के विरुद्ध दर्ज 30,673 प्रकरणों में चार्जशीट पेश करने की दर 84% थी, जो देश में दूसरे स्थान पर है ।राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की रिपोर्ट के अनुसार मध्य प्रदेश में महिला अपराधों के मामलों में सजा की दर की बात की जाए तो अकेले वर्ष 2023 में महिलाओं के खिलाफ अपराध के कुल 4,48,211 मामले दर्ज किए गए, जिनमें से 77.6% मामलों में आरोपपत्र दाखिल किए गए। जिसमें चार्जशीट दर 77.6% थी तथा 2023 में महिलाओं के खिलाफ अपराध के 28.7% मामले लंबित थे।मध्य प्रदेश में 2024 में महिला अपराध के आंकड़े काफी चिंताजनक हैं। इस साल में महिलाओं के खिलाफ कुल 33,291 अपराध दर्ज किए गए। इनमें से सबसे अधिक अपराध महिलाओं पर उनके पतियों द्वारा किए गए, जिनकी संख्या 7,541 है। 2024 में मध्य प्रदेश में 7,202 दुष्कर्म के मामले सामने आए। यह आंकड़ा पिछले पांच वर्षों में 18% बढ़ा है।प्रदेश में 220 महिलाओं के साथ सामूहिक दुष्कर्म हुआ। 21 महिलाओं के साथ दुष्कर्म करने के बाद उनकी हत्या कर दी गई। इस वर्ष 7,172 महिलाओं और बच्चों के साथ छेड़छाड़ की घटनाएं सामने आईं।वहीं 641 मामले महिलाओं की आत्महत्या के दर्ज हुए।

मध्य प्रदेश में महिला अपराधों के प्रति राज्य महिला आयोग की भूमिका भी संतोषजनक नहीं रही।राज्य सरकार की उदासीनता का परिणाम है कि मध्य प्रदेश राज्य महिला आयोग 2020 से बंद है, जिसके कारण लगभग 50,000 शिकायतें लंबित हैं। 

प्रदेश सरकार द्वारा महिला आयोग में नियुक्तियों के अभाव में आयोग केवल सफेद हाथी साबित हो रहा हैं।इस प्रकार प्रदेश में 2003 से भाजपा सरकार होने के बावजूद महिला अपराध के प्रति सरकार की उदासीनता चिंताजनक है। वह भी उस स्थिति में जब प्रदेश का मुखिया मुख्यमंत्री स्वयं प्रदेश के गृह मंत्रालय को भी संभालते हैं। बिगड़ी कानून व्यवस्था के साथ महिला अपराधों की बढ़ती संख्या सरकार के हर मोर्चे पर नाकामी को दर्शाती है जो चिंतनीय है।

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