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बीता सप्ताह आरक्षण का जिन्न अब जातिगत जनगणना के बाद बाहर आना तय धीरेन्द्र कुमार नायक एडवोकेट छतरपुर

अप्रैल माह 2025 की विदाई तथा मई माह की दस्तक का था‌। पहलगाम मै निर्दोष पुरुष की धर्म पूछकर हत्या की घटना से देश मै आक्रोश था,| पहली बार भारतीय अल्पसंख्यक समुदाय तथा विपक्ष विशेष कर उबेसी तथा फारुख अब्दुल्ला जैसे नेता आतंकवाद पर मोदी सरकार को पूरा समर्थन देने और आतंकवाद की जड़ पर प्रहार कर समूल नष्ट करने की बात कह रहे हैं । प्रधानमंत्री जी हाईलेवल सुरक्षा समिति की बैठक बाद सेना को पूर्ण स्वतंत्रता कि वे जिस तरह जब चाहें कार्यवाही करें | दूसरी तरफ टीवी चैनल बड़ा होने वाला है बताकर जनता दिल थाम बदला का इन्तजार कर रही थी। तभी भारत सरकार की बुधवार को कैबिनेट बैठक को लेकर लोगो को उत्सुकता थी , कैबिनेट बैठक की जो जानकारी आई कि जातिगत जनगणना कराई जायेगी | यह ऐसा समय और विषय था जिसे लेकर भाजपा नेतृत्व ऊहापोह की स्थिति मै था , भाजपा प्रवक्ता विपक्षी दल के प्रवक्ताओं से डिबेट तथा सार्वजनिक मंच पर जातिगत जनगणना के खिलाफ बोल रहे थे | राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भी इसे हिन्दू हित मै नहीं कह रहा था, | अनायास सब हतप्रभ थे कि कैबिनेट ने जातिगत जनगणना कराने की मंजूरी दे दी थी।

जातिगत जनगणना जातिगत जनगणना को मोदी सरकार की स्वीकृति बनना तय था बनी भी, यहाँ तक कि पहलगाम का बदला फीका हो गया दो दिन को। इसमें कोई विरोधाभास नहीं कि राहुल गांधी नेता प्रतिपक्ष, अखिलेश यादव सपा सुप्रीमो, श्री लालू यादव आरजेडी चीफ, वामपंथी तथा भाजपा सरकार के घटक श्री नीतीश कुमार जी जातिगत जनगणना की पुरजोर मांग कर रहे थे, बिहार मै तो नीतीश कुमार जी तथा तेजस्वी की सरकार ने जातिगत जनगणना करा दी थी कुछ तकनीकी कमी बताकर नीतीश कुमार जी ने भाजपा के साथ सरकार बनाने से उक्त जातिगत जनगणना के आंकड़े सार्वजनिक नहीं किए थे। लोकसभा मै तो नेता प्रतिपक्ष श्री राहुल गांधी ने यहां तक कहा था हम जातिगत जनगणना कराके रहेगें। भाजपा की जातिगत जनगणना को लोगों के अलग विचार देखने को मिले, कुछ लोग इसे पहलगाम की घटना से ध्यान हटाने की बात कह रहा था , कोई बिहार चुनाव मै नीतीश कुमार का जनाधार खिसकने के कारण नीतीश कुमार के दबाव में लिया फैसला कह रहे थे कुछ लोग भाजपा को ब्राह्मण बनिया की पार्टी के दाग से मुक्त कर मोदी जी ओबीसी के अगुवाई वाला सबका दल बनाना चाहते हैं।

अंग्रेज शासन काल में जाति गत जनगणना 1872 से 7 बार जनगणना कराई पर आखिरी 1931 मै जातिगत जनगणना कराई थी | जिसमें 4 हजार जाति उपजाति की गिनती हुई थी। इस 1931 की जनगणना मै राष्ट्रीय औसत ओबीसी का 52 % था , जिसमें बहुत सी जाति आजादी बाद में अनुसूचित जाति या सामान्य में शामिल हो गई है। 2011 में जातिगत जनगणना कराई थी सरकार ने जिसमें 46 लाख जाति की गिनती मै आई थी, तब इसके अलावा शिक्षा, आय, व्यवसाय, निवास की स्थिति की गिनती हुई थी। यह जनगणना 2011 में प्रारम्भ हो 2016 में पूर्ण हो पाई थी सब मैनुअल था इसलिए 7 साल लगे थे। इसी आंकड़े को ग्रामीण क्षेत्र में आधार बना मोदी सरकार ने, प्रधानमंत्री आवास, उज्ज्वला योजना आदि मै हितग्राही योजना का आधार बनाया था।

इस बार सरकार ने डिजिटल जनगणना कराने का फैसला किया है, जिसमें धन ज्यादा लग सकता पर समय कम लगने की आशा है। मोदी सरकार 2011 और बिहार सरकार ने जो ओबीसी गणना मै गलती की उसे नहीं होने देगी आपको जो डिजिटल फॉर्मेट में जाति का आप्शन वह लिखना नहीं निर्धारित सूची में से भरना पड़ेगा अपनी जाति उपजाति, इसी प्रकार आर्थिक जानकारी भी तय प्रारूप मै भरना होगा,फिलहाल चुकी जनगणना सरकार 1 जनवरी 2026 से कराऐगी इसलिए क्या फॉर्मेट होगा यह लोकसभा में बिल आने के बाद तय होगा जिसमें अभी समय है।

इस जातिगत जनगणना से किस राजनैतिक दल को लाभ होगा इसे लागू करने वाले को, या लंबे समय मांग करने वाले को? जहाँ तक लगता है चूकि बिहार चुनाव तक जनगणना प्रारम्भ नहीं होना अन्तिम जाति की जानकारी तथा उस पर वोटो का ध्रुवीकरण होगा यह नहीं लगता यह पुराने अन्दाज पर चलेगा, हाँ यह तय भाजपा एन डी ए इसे ओबीसी की मांग पूरी करना कहेगी तो विपक्ष अपनी रणनीति दबाव की जीत प्रचारित करेगी। अब लाभ हानि को देखें तो भाजपा ब्राह्मण, बनिए की पार्टी का तंज सहते यहाँ पहुची यह भी छुपाया नही जा सकता 2010 के पहले तक भाजपा मै बडे नेता इसी ब्राह्मण, बनिया, ठाकुर वर्ग से थे पर इसका मतलब यह नहीं श्री बंगारू लक्षमण,श्री कुशाभाऊ ठाकरे, सुश्री उमा भारती, श्री बाबूलाल गौर,श्री सुन्दर लाल पटवा, श्री भैरोंसिंह शेखावत, श्री प्रमोद महाजन, श्री कल्याण सिंह,श्री वेंकैया नायडू, श्रीमंत राजमाता सिधिया, श्री सिकन्दर वक़्त, अन्य सभी जाति के बड़े कद्दावर नेता नहीं थे, पर तमगा बनिया ब्राह्मण की दल का था। कांग्रेस में सरदार पटेल, गांधी, नेहरू, राजेन्द्र प्रसाद, जगजीवन राम, अनेक नेता थे ब्राह्मण, बनिया थे तथा ब्राह्मण एस सी अल्पसंख्यक तथा कुछ ओ ओबीसी के गठजोड़ से सत्ता मे रही है।दक्षिण भारत मै क्षेत्रीय दल जाति पर टिके थे सफल हुए थे , तब उत्तर भारत में भी यादव, कुर्मी जाति के नेताओं ने क्षेत्रीय दल बना ओबीसी को अपने मै जोडा, तथा मण्डल कमीशन की रिपोर्ट के बाद ओबीसी की हिस्सेदारी बढ़ाने की मांग बढी, महाराष्ट्र, राजस्थान आदि प्रांतों मै जातिगत शासन का लाभ मिलना देख ओबीसी एस सी, एस टी में जाति जुड़वाने की होड़ बढी थी आन्दोलन भी हुए ।


अभी तक जितने चुनाव हुए एक बात साफ निकल कर आई एक जाति या वर्ग से चुनाव नहीं जीता जा सकता है। उदाहरण मायावती ने एस सी के साथ ब्राह्मण , अल्पसंख्यक जोडा सरकार बनाई पहले इसी गणित पर कांग्रेस चुनाव जीतती रही, कांग्रेस का यह गणित बिगडा और 50 लोकसभा सदस्य के लाले पडे। जहाँ तक वर्तमान राजनीति को देखे भाजपा के नेता प्रधानमंत्री जी ओबीसी से है , तथा 2014 से ओबीसी वोट ज्यादा मिला यह समीक्षक कहते पर मेरा मानना श्री राम मंदिर आंदोलन में ओबीसी वोट भाजपा इससे कम नहीं मिला था , भले ही बिहार, उत्तर प्रदेश में ओबीसी क्षेत्रीय दल में ज्यादा ओबीसी का समर्थन रहा हो। भाजपा यदि क्षेत्रीय दल की तरह ओबीसी प्रेम ज्यादा मुखर करेगी तो ब्राह्मण, बनिया आदि यहाँ तक लाने वाले सवर्ण मतदाता नाराज हो सकते हैं? राजनीति नफा नुकसान जो हो पर मण्डल आयोग की रिपोर्ट के बाद का आरक्षण का जिन्न जो बोतल में चला गया था, अब जातिगत जनगणना के बाद बाहर आना तय है, सरकार आरक्षण राजनैतिक लाभ के लिए बढ़ाएगी , किसी का घटाएगी, इसके अलावा इन आंकड़ों का सकारात्मक उपयोग कर जनहितैषी योजना लाएगी जो इस जाति आर्थिक जनगणना का लाभ होगा, पर यह लाभ जाति संघर्ष रोक पाएगा यह भविष्य की गर्त मै है।

कांग्रेस का,, संविधान बचाओ अभियान , काग्रेंस का,, सविधान बचाओ अभियान,, का ग्वालियर से शुभारंभ 28 अप्रैल से होना। इस अभियान मै 3 मई से 10 तक जिला स्तर पर रैलियां, 11 से 17 विधानसभा स्तर पर, 20 से 30 मई घर घर संपर्क अभियान होगा। इस ग्वालियर रैली मै श्री दिग्विजय सिंह जी ने संकल्प लिया कि आज के बाद वे मंच के सामने बैठेंगे बुलावे अपना भाषण दे फिर सामने बैठेंगे, यह घोषणा दिग्विजय सिंह जी ने सोच समझ की है , नाराजगी से नहीं कहा होगा कांग्रेस कार्यकर्ताओं को अनुशासन मै रहकर जमीन पर काम करने की नसीहत है। आज कांग्रेस ही नहीं भाजपा मै मंच पर बैठने की होड़ रहती है । यही कहा दिग्विजय सिंह जी ने कि जो लोगों को साथ लाते कार्यक्रम मै उनको दूर धक्का देकर किया जाता उन्हें स्थान सम्मान प्यार नहीं मिलता तथा ठसने बालों को नेता के पास बैठा देख आगे वे जो कार्य कर रहे थे ठसना शुरू कर देते है। दिग्विजय सिंह जी की नसीहत सब दल बालों को माननी चाहिए। मैंने देखा भाजपा मै अभी डा आंबेडकर जी जयंती पर साप्ताहिक कार्यक्रम किया गया था, इसमें अनुसूचित जाति के प्रभावी लोगों के घर जाना तथा अन्त मै संगोष्ठी थी जिसमें बाहर से वक्ता मंत्री या भाजपा के पदाधिकारी भेजे थे, मै वक्ता महोदय की तैयारी पर नहीं जाना चाहता क्या कहां, पर नेतृत्व की इच्छा थी अनुसूचित जाति के हर गांव वार्ड सेवा निवृत्त कर्मचारी, विद्वान युवा चौधरी कम से कम 200 से 500 लाने के बाद उनके बीच भाजपा सरकार के डा अंबेडकर जी के लिए किया काम तथा कांग्रेस की अपेक्षा संविधान कांग्रेस का दुरुपयोग तथा भाजपा के संशोधन जनहित मै है प्रतिपादित करना था, इस मंच पर अनुसूचित जाति के वरिष्ठ हो, पर देखा हर मंच पर लोग अनपेक्षित ठसे फसे है अनुसूचित जाति के 5 लोग नहीं थे गोष्ठी मै, जो उपस्थित थे वे भाजपा के पदाधिकारी थे। फोटो मै भीड़ है पर अनुसूचित जाति के अपेक्षित नही तो क्या लाभ होगा? यह भाजपा के जिले के पदाधिकारी, प्रदेश या राष्ट्रीय नेतृत्व को नहीं स्वयं को धोखे दे रहे है । अनुसूचित जाति के यदि नेता भाजपा कार्यक्रम मै आते उन्हें सम्मान नहीं देते दूर रहते जो दिग्विजय सिंह जी ने रैली मै कहा। आज मेरा मानना भाजपा कांग्रेस दोनों को इस पर विचार करना होगा। मै एक घटना का सहकर रहा हूँ पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी की जयंती थी जिले के पदाधिकारी उस आयोजन के प्रभारी भाषण देने मंच पर आऐ मै भी सामने बैठा था । वक्ता महोदय ने उपाध्याय जी का जन्म बता वाकी 5 मिनट भाजपा जिलाध्यक्ष के कसीदे पढ़े, कार्यक्रम के बाद मैंने कहा मित्र दीनदयाल उपाध्याय जी जयंती थी जिलाध्यक्ष जी की नहीं, दीनदयाल जी पर बोलना था। उनने बड़ा साम्यिक जो चल रहा भाजपा मै जबाब दिया ,,,मुझे पदाधिकारी जिलाध्यक्ष जीने बनाया दीनदयाल जी ने नहीं | प दीनदयाल जी की प्रशंसा से कुछ नहीं मिलता जिलाध्यक्ष जी की प्रशंसा करने मिलता है मै जिला पदाधिकारी इस कार्यक्रम का प्रभारी बना हूँ । आज के समय अब इस तरह के, कार्यकर्ताओं के रहते श्री दिग्विजय सिंह जी की सीख सुनेंगे नहीं लगता।

छतरपुर जिले मै भी आ गया ,, लव जिहाद

, छतरपुर जिले मै भी आ गया ,, लव जिहाद,,,,मातागुवा की एक शादीशुदा महिला प्रेम जाल मै आकर दूसरे धर्म के लडके के साथ रही ,फिर प्रताड़ित हो थाने आकर रिपोर्ट की। यह जिले मै नया नहीं इससे पहले बीसों लड़कियों ने दूसरे धर्म के लडके से घर से भागकर शादी कर, छतरपुर मै रह रही हैं। पर यह पहला है जब प्रताड़ित हो रिपोर्ट की, यह पुलिस रिपोर्ट कहा तक न्यायालय मै टिकेगी यह महत्वपूर्ण नहीं, महत्वपूर्ण यह है कि कहां चूक होती है जो यह नौबत आती है। यह दो राह नहीं आज पति पत्नी का रिश्ता बहुत कमजोर होता जा रहा है। पति पत्नी मामूली बात पर अदालतों मै भरण पोषण लेने पति से अलग रहने तथा तलाक के लिए उतावली रहती दिखाई देती है। दूसरे लड़के जो वाहन रुतबा शान शौकत तथा लालच या खुबसूरत सपने दिखा पति पत्नी मै फूट डाल अपने उपभोग की वस्तु बना लेते और फिर तीसरे को बेच देते और नुमाइश बन जाती महिलाएं, मुझे लगता यह रोकना बहुत कठिन लगने लग रहा बल्कि यह बढ़ रहा है। हिन्दू समाज के संरक्षक बस रिपोर्ट करा बहादुरी समझते है पर ऐसे भटकी महिला लडकी को पुनः अपने धर्म के परिवार मै पनाह की व्यवस्था नहीं करते जबकि आज जिले मै हिन्दू मै लडकी का औसत गिरने से बहुत हिन्दू अविवाहित संख्या है जहाँ पुनर्विवाह कराया जा सकता है । मेरा यह भी सोच आज के परिवेश मै हिन्दू समाज के प्रभावी या कहूँ हिन्दू की चिंता रखने वालों को हिन्दू परिवार मै पति पत्नी मै विवाद की जानकारी लगते सक्रिय होकर आपसी समझौता करा इन अप्रिय घटना से बचाना चाहिए वह लव जिहाद मै फसनी वाली महिला भर को नहीं, वह भले हिन्दू धर्म के पुरुषों के चक्रव्यूह मै फंस रही हो उन्हें बचाना है, |

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