बुंदेलखंड की डायरी
बुंदेलखंड: धरोहरों, विकास और जन आस्था की नई धड़कन
रवीन्द्र व्यास
बुंदेलखंड, देश की वह धरा , जहाँ मिट्टी में इतिहास की गंध है, पत्थरों में आस्था की छाप, और लोगों के चेहरे पर जीवन की जिद है । खुदाई में निकली मूर्तियों की सांस्कृतिक चमक, शहरों में उठते फ्लाईओवरों की रफ्तार, मंदिरों में उमड़ते विश्वास की लहरें और जनजीवन के विकास की आकांक्षाएं सभी एक साथ उमड़ती हुई प्रतीत होने लगी हैं |
दमोह: धरती के गर्भ से उभरा इतिहास
दमोह जिले के तेंदूखेड़ा ब्लॉक के ग्राम दौनी में पठादो की पहाड़ी पर पिछले एक साल से चल रही पुरातात्विक खुदाई ने इतिहास की परतें खोल दी हैं। कलचुरी काल (10वीं-11वीं शताब्दी) की ब्रह्मा, विष्णु, शिव, उमा-महेश्वर, अर्धनारीश्वर, पार्वती और वायुदेव जैसी अद्भुत मूर्तियां मिली हैं। इन प्रतिमाओं की कला और प्रतीकात्मकता इस क्षेत्र के उस गौरवशाली युग की कहानी कहती है जब बुंदेलखंड धार्मिक और सांस्कृतिक उत्कर्ष का केंद्र था।
गांव के पास स्थित सिद्ध हनुमान मठ आज भी आस्था का जीवंत केंद्र बना हुआ है, जहां लोगों का विश्वास है कि हनुमान जी की मूर्ति का एक पैर पाताल लोक तक जाता है। इस लोककथा और खुदाई में मिले प्रमाण दोनों मिलकर बुंदेलखंड की मिट्टी की गहराई दिखाते हैं जहाँ इतिहास और श्रद्धा एक ही धारा में बहती हैं।
टीकमगढ़: आधुनिकता की ओर एक पुल
धरोहरों के इस अंचल में अब विकास की रफ्तार भी जोड़ ली गई है। टीकमगढ़ शहर को पहला फ्लाईओवर मिलने जा रहा है चकरा तिराहा से सिंधी धर्मशाला तक 1.5 किमी लंबा पुल, जिसकी लागत लगभग 150 करोड़ रुपये होगी। यह परियोजना बुंदेलखंड की शहरी सोच की झलक है जहाँ भीड़भाड़ और पुरानी सड़कों के बीच से निकल कर आधुनिक यातायात व्यवस्था की तस्वीर बन रही है।
ब्रिज कॉर्पोरेशन के इस प्रस्ताव से उम्मीद है कि सिविल लाइन से लेकर बाजार क्षेत्र तक की जाम से त्रस्त जनता को राहत मिलेगी। यह सिर्फ एक फ्लाईओवर नहीं, बल्कि छोटे शहरों की बढ़ती आकांक्षा और आत्मनिर्भर संरचना का प्रतीक बनकर उभर रहा है।
ओरछा: आस्था और पर्यटन का संगम
ओरछा, जहां श्री राम राजा की नगरी बसी है, अब श्री राम राजा लोक के रूप में नवसृजन की दिशा में बढ़ रही है। पर्यटन विभाग ने इसे पी पी पी मोड में विकसित करने के लिए डालमिया समूह के साथ समझौता प्रक्रिया शुरू की है।
12 एकड़ में बनने वाले इस परियोजना में म्यूजियम, लाइट एंड साउंड शो और सांस्कृतिक स्थलों का जीर्णोद्धार किया जाएगा। बुंदेला राजवंश के इतिहास से लेकर स्वतंत्रता सेनानियों तक की कथाओं को संग्रहालयों में दर्ज करने की योजना है। यह प्रयास बुंदेलखंड की पहचान को आधुनिक पर्यटन के नक्शे पर नयी ऊंचाई देगा जहाँ विरासत का संवर्धन और आर्थिक जीवंतता, साथ जुड़े हों।
छतरपुर: मेले में झूमती परंपरा
छतरपुर का मेला जलविहार 2025 इस बार फिर बुंदेलखंड की जीवंत आत्मा बनकर लौटा है। नगर पालिका परिषद द्वारा आयोजित यह 10-दिवसीय उत्सव केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि लोक संस्कृति की पुनर्दृष्टि है।
स्कूलों की सांस्कृतिक प्रस्तुतियों से लेकर आल्हा गायन, लोकगीत, भजन, कवि सम्मेलन, राई नृत्य, बैंड नाइट और मुशायरा जैसे आयोजनों से यह मेला बुंदेलखंड की सांगीतिक और काव्य परंपरा को नई ऊर्जा देता है। मेला परिसर में सर्कस, मीना बाजार और लोक व्यंजन स्थानीय कारीगरों और व्यवसायियों के लिए भी नई उम्मीदें लेकर आए हैं।
यह आयोजन बताता है कि बुंदेलखंड न सिर्फ इतिहास की धरोहर है—बल्कि वह आज भी जीती-जागती संस्कृति में सांस लेता है।
सागर: विश्वास का जल स्रोत
सागर जिले के पास नोनिया-सेसई के जंगल में निकली चमत्कारी बावड़ी ने पूरे बुंदेलखंड को कौतूहल में डाल दिया है। ग्रामीणों का दावा है कि इस बावड़ी के जल से असाध्य रोग ठीक हो रहे हैं। लोगों की भीड़ पूजा अर्चना और श्रद्धा का माहौल दिखाता है कि आस्था अब भी इस भूमि की जड़ों में बसी है।
वन विभाग के लिए यह अवसर और चुनौती दोनों बन गया है एक तरफ वन संपदा पर दबाव है, तो दूसरी ओर धार्मिक पर्यटन की संभावना। विज्ञान चाहे जो कहे, पर जनविश्वास बुंदेलखंड को उसकी सांस्कृतिक निरंतरता से जोड़े रखता है।
झांसी: शासन और संकल्प का केंद्र
उत्तर प्रदेश के हिस्से में आने वाला झांसी, बुंदेलखंड के प्रशासनिक और राजनीतिक नेतृत्व का प्रमुख केंद्र है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की हालिया समीक्षा बैठक में बिजली चोरी पर अंकुश, महिला सुरक्षा, कचरा निस्तारण, अतिवृष्टि राहत और औद्योगिक निवेश को लेकर महत्वपूर्ण निर्देश दिए गए।
स्थानीय नागरिकों ने सड़क सुधार, बिजली और सफाई पर फोकस की सराहना की, जबकि विपक्षी दल जमीन पर अमल की रफ्तार पर सवाल उठा रहे हैं। विश्लेषकों के अनुसार, योगी सरकार की योजनाओं से बुंदेलखंड का नगरीय ढांचा मजबूत हो सकता है अगर क्रियान्वयन समय पर हो।
खेल, स्वास्थ्य और उद्यमिता को मिल रहा प्रोत्साहन इस क्षेत्र के युवा जनमानस को उत्साहित कर रहा है। टीबी मुक्त झांसी अभियान जैसे कदम इस क्षेत्र को नई सामाजिक दिशा दे रहे हैं।
अतीत और भविष्य का संगम
अक्टूबर 2025 का बुंदेलखंड एक ऐसी भूमि है जो एक साथ कई कालों में जी रही है | दमोह की खुदाई अतीत की जड़ों को खोज रही है,ओरछा और छतरपुर संस्कृति को आधुनिक पर्यटन में बदल रहे हैं,टीकमगढ़ और झांसी विकास का ढांचा खड़ा कर रहे हैं,जबकि सागर की बावड़ी श्रद्धा की लहर उठाए हुए है।
यह वही बुंदेलखंड है जो अपनी धरोहर संभालते हुए, विकास और आत्मनिर्भरता की ओर कदम बढ़ा रहा है। इतिहास की धूल से उठती मूर्तियाँ और सड़कों पर बनते पुल दोनों मिलकर कह रहे हैं यह क्षेत्र केवल इतिहास नहीं, बल्कि भविष्य की सृष्टि का आधार है।
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