Trending

शाजापुर में संपन्न हुई प्रेस क्लब ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स की आवश्यक बैठक

रिसर्च सेंटर में तब्दील प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र मिशन हॉस्पिटल की टीम ने किया लावारिस बॉडी का पोस्टमार्टम।

हरिजन बस्ती के लिए आया संजीवनी क्लिनिक का सामान्य वार्ड में क्षेत्रीय विधायक कामाख्या प्रताप सिंह आज कर सकते हैं उद्घाटन।

25 जून 1975 की बीती रात ने आज के भोर को दहला दिया था

बीता सप्ताह आरक्षण का जिन्न अब जातिगत जनगणना के बाद बाहर आना तय

कल प्रदेश के कुछ जिलों में होने वाले नागरिक सुरक्षा मॉकड्रिल को लेकर बोले मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव.

मेंडिकल संचालकों में (झोलाछाप डॉक्टर) खोजने की सूचना।

पद्मश्री सम्मान का व्यवसायीकरण क्या सरकार के संरक्षण में ?

तबेले में तब्दील हुआ सीएम संजीवनी क्लिनि

माँ शक्ति की महिमा को न केवल आरती में गाएं, बल्कि जीवन में उसे साकार करने का प्रयास करें - शशि दीप

बुंदेलखंड में भाजपा की नई दिशा — महिला नेतृत्व, संगठनात्मक संतुलन और बदलता राजनीतिक परिदृश्य

 बुंदेलखंड की डायरी 

बुंदेलखंड में भाजपा की नई दिशा — महिला नेतृत्व, संगठनात्मक संतुलन और  बदलता राजनीतिक परिदृश्य

रवीन्द्र व्यास 

मध्य प्रदेश की राजनीति में बुंदेलखंड वह भू भाग है जहाँ धर्म, संगठन और सामाजिक समीकरण एक साथ राजनीतिक निर्णयों को आकार देते हैं। भाजपा की नई प्रदेश कार्यकारिणी में इस क्षेत्र की तीन प्रमुख महिला नेताओं  लता वानखेड़े, नंदिता पाठक और अर्चना सिंह  को जो भूमिकाएँ दी गई है, उन्होंने यह स्पष्ट कर दिया है कि संगठन अब बुंदेलखंड को केवल वोट बैंक नहीं, बल्कि रणनीतिक केंद्र के रूप में देख रहा है। गुटों में विभक्त बीजेपी की यह रणनीति कितनी सफल होगी यह आने वाले समय में ही स्पष्ट होगा |                                                                                                     इन नियुक्तियों के माध्यम से बीजेपी  ने जहाँ एक ओर महिला सशक्तिकरण का नया संदेश दिया है, वहीं जातीय और सामाजिक संतुलन को साधने की पुरानी कला को भी नव स्वरूप  में प्रस्तुत किया है।

 लता वानखेड़े: दलित और महिला प्रतिनिधित्व का संगम

सागर संसदीय क्षेत्र और बुंदेलखंड  क्षेत्र में सक्रिय लता वानखेड़े का प्रदेश महामंत्री के रूप में  मनोनयन  केवल प्रतिनिधित्व नहीं, बल्कि भाजपा के उस सामाजिक विस्तार का संकेत है जो दलित और महिला  वर्ग के भीतर आत्मीयता बनाने का प्रयास कर रहा है।प्रदेश संगठन में लता वानखेड़े की नियुक्ति से संदेश गया है कि भाजपा अब मैदान में कार्य करने वाली महिला नेताओं को केवल “प्रतीक” नहीं, बल्कि संगठनात्मक शक्ति के रूप में देख रही है। हालांकि सागर की राजनैतिक गुटबाजी से लता जी फिलहाल दूर बताई जाती हैं पर उन पर भी बीजेपी के लोग पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह गुट का मानते हैं | देखना होगा सागर जो बीजेपी की गुटबाजी का बड़ा केंद्र माना जा रहा है उसमे किस तरह से समन्वय स्थापित कर पाती हैं | 

नंदिता पाठक: विचार और संगठन की कड़ी

नंदिता पाठक, जो नाना जी देशमुख की दत्तक पुत्री हैं, को प्रदेश उपाध्यक्ष बनाना भाजपा की सांस्कृतिक-संगठनात्मक धारा को फिर से जोड़ने का प्रयास माना जा रहा है।खजुराहो और चित्रकूट में उनके लंबे सामाजिक कार्य ने उन्हें संघ परंपरा का प्रतिबिंब बना दिया है। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि उनकी नियुक्ति से वी.डी. शर्मा गुट को संगठन में मजबूती मिली है और यह पार्टी के भीतर विचारधारा आधारित नेतृत्व का पुनर्प्रयास भी है। वैसे भी नंदिता पाठक की पहचान राजनैतिक नेता से कहीं अधिक सामाजिक कार्यकर्ता बनाम नेतृत्व कर्ता की अधिक है | लोग यह भी मानते हैं कि ऐसे लोग अगर राजनीति में सक्रिय होंगे तो इससे समाज की आवाज को ज्यादा बल मिलेगा |  

 अर्चना सिंह: स्थानीय समीकरणों की सधी बाज़ी

अर्चना सिंह, जो छतरपुर नगर पालिका की पूर्व अध्यक्ष रही हैं, को प्रदेश मंत्री बनाना छतरपुर के राजनीतिक समीकरणों में नई जान डालने जैसा है। वे केंद्रीय मंत्री वीरेंद्र कुमार खटीक के निकट मानी जाती हैं |   राजनैतिक विश्लेषक मानते हैं कि अर्चना सिंह और छतरपुर की वर्तमान विधायक ललिता यादव के मध्य सियासी खींचतान चलती रहती है |  उन पर विधानसभा चुनावों से लेकर अन्य बीजेपी के कार्यक्रमों को लेकर आरोप प्रत्यारोप लगते रहे हैं | इसी तरह के  आरोप 2018 के चुनाव में उन्होंने बीजेपी की ललिता यादव पर भी लगाए थे | 

                                                                             अर्चना सिंह को प्रदेश संगठन में अहम् जिम्मेदारी मिलने से जहां केंद्रीय मंत्री वीरेंद्र कुमार के समर्थक प्रसन्न हैं वही उनके विरोधियों को उनकी यह नियुक्ति रास नहीं आ रही है | पर इतना तय माना जा रहा है कि बीजेपी अब एक नई  राजनैतिक कसावट के साथ आगे बढ़ रही है | 

मानवेन्द्र–खटीक विवाद और संगठनात्मक कसौटी

छतरपुर भाजपा में मानवेंद्र सिंह (भंवर राजा) और वीरेंद्र कुमार खटीक के बीच जारी विवाद ने दिखाया है कि बुंदेलखंड की राजनीति केवल विचार या विकास नहीं, बल्कि स्थानीय नेतृत्व बनाम बाहरी प्रभाव के संघर्ष से भी गुजर रही है।सितंबर 2024 में आरंभ हुआ यह विवाद आज तक स्थानीय संगठन में हल्का तनाव बनाए हुए है। उस समय  मानवेन्द्र सिंह ने खटीक पर अपराधिक पृष्ठभूमि वाले लोगों को सांसद प्रतिनिधि बनाए जाने का आरोप लगाया, जिस पर ललिता यादव जैसी वरिष्ठ महिला विधायक ने भी समर्थन जताया था                                                                                  भले ही प्रदेश नेतृत्व ने मामले को शांत कर दिया था | पर वर्तमान में हालात जस के तस बने हुए हैं , पिछले दिनों पूर्व मंत्री मानवेन्द्र सिंह ने पत्रकारों से अनौपचारिक चर्चा में इसका खुलासा भी किया था | उन्होंने केंद्रीय मंत्री वीरेंद्र कुमार का नाम लिए बगैर स्पष्ट किया था कि महाराजपुर विधानसभा क्षेत्र में  विकास कार्यों पर अवरोध खड़े किये जाते हैं | इसी तरह के और भी स्थितियों का उन्होंने खुलासा  किया था |  

उमा भारती की वापसी: झांसी से फिर बिगुल

भाजपा की कद्दावर नेता उमा भारती ने यह घोषणा करके कि वे 2029 के लोकसभा चुनाव में झांसी से लड़ने को तैयार हैं, बुंदेलखंड की राजनीति में एक बड़ा अध्याय फिर से खोल दिया है।

उनकी इस घोषणा ने न केवल झांसी बल्कि पूरे क्षेत्र में राजनीतिक हलचल पैदा कर दी है। उनका बयान मेरी झांसी है, मैं झांसी से ही लड़ूंगी भाजपा कैडर  के लिए भावनात्मक पुनरुत्थान जैसा माना जा रहा है।यह कदम बुंदेलखंड में भाजपा की पुरानी ताकत को फिर सक्रिय करने की रणनीति के तौर पर भी देखा जा रहा है। 

                                            दरअसल  बुंदेलखंड में भाजपा की तीन ध्रुवीय रणनीति के तहत अपना ताना बाना बनाने में जुटी है | तीन महिला नेताओं को केंद्रीय भूमिका देकर पार्टी ने महिला मतदाताओं को प्रत्यक्ष राजनीतिक प्रतिनिधित्व से जोड़ा है। वहीं दूसरी तरफ  दलित, ओबीसी और परंपरागत ब्राह्मण नेतृत्व के संयोजन से पार्टी ने सामाजिक संतुलन साधने की कोशिश की है। ओरछा, खजुराहो और चित्रकूट जैसे स्थलों पर विकास योजनाएं केवल आर्थिक नहीं, बल्कि सांस्कृतिक एकता की राजनीतिक यात्रा का हिस्सा बना दिया है ।


                                       बुंदेलखंड अब भाजपा के लिए सिर्फ एक क्षेत्र नहीं बल्कि एक राजनीतिक प्रयोगशाला बन चुका है।महिला नेतृत्व, संगठनात्मक समरसता, धार्मिक पर्यटन और स्थानीय संरचनाओं के सामंजस्य से पार्टी ने जिस प्रकार अपनी रणनीति को पुनर्परिभाषित किया है, वह आने वाले वर्षों में पूरे मध्य प्रदेश की राजनीति की दिशा तय कर सकता है।

Post a Comment

Previous Post Next Post

Contact Form