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कलियुग में सत्यदेव ही जीवन का परम कल्याणकारक — पं. धीरेंद्र शास्त्री जन्मभूमि में श्री सत्यनारायण कथा का हुआ पुण्य समापन।

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 कलियुग में सत्यदेव ही जीवन का परम कल्याणकारक — पं. धीरेंद्र शास्त्री

जन्मभूमि में श्री सत्यनारायण कथा का हुआ पुण्य समापन।  

छतरपुर। देश में पहली बार संगीतमय श्री सत्यनारायण कथा का आयोजन हुआ है, और यह सौभाग्य स्वयं बागेश्वर धाम पीठाधीश्वर पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की जन्मस्थली में प्राप्त हुआ। तीन दिवसीय कथा महोत्सव के पंचम अध्याय के साथ कथा का मंगल विराम हुआ।विराम दिवस की कथा में महाराज श्री ने कहा, “भगवान सत्यनारायण को कोई सत्यदेव कहता है, कोई मात्र ‘सत्य’। किंतु कलियुग में परम सत्यदेव ही मानव जीवन के कल्याण कारक हैं। बिना सत्य के सहारे जीवन माया के बंधनों से मुक्त नहीं हो सकता।”उन्होंने कहा कि जैसे जीवन में जन्म ‘अर्द्धविराम’ है, कर्म और उपासना ‘अल्पविराम’ हैं, और मृत्यु ‘पूर्ण विराम’। 

स्कंद पुराण में स्पष्ट उल्लेख है कि कलियुग में जब अधर्म का अंधकार बढ़ेगा, तब मनुष्य के कल्याण का एकमात्र साधन श्री सत्यनारायण व्रत कथा ही होगी।कथा के अवसर पर बद्रीनाथ धाम के पूज्य बालक योगेश्वर दास महाराज, मलूक पीठ के पूज्य गिरधर दास महाराज, तथा महर्षि वेद विज्ञान संस्था के प्रधानाचार्य पं. ओमप्रकाश शर्मा सहित अनेक संतजन उपस्थित रहे।3 जनवरी 2026 को होगी सामूहिक कथा

महाराज श्री ने बताया कि वे आगामी 3 जनवरी 2026 को बागेश्वर धाम में सैकड़ों श्रद्धालुओं के साथ सामूहिक रूप से श्री सत्यनारायण कथा का आयोजन करेंगे। उन्होंने सभी भक्तों से तीन, पांच अथवा सात बार श्री सत्यनारायण कथा करने का संकल्प लेने का आह्वान किया। इस सामूहिक कथा में सहभागी बनने वाले यजमानों से किसी भी प्रकार का पंजीयन शुल्क नहीं लिया जाएगा।“जन्मभूमि में कथा कहकर चुकाएं मातृऋण” — योगेश्वर दास महाराज

पूज्य योगेश्वर दास महाराज ने अपने आशीर्वचन में कहा कि प्रत्येक संत और श्रद्धालु को अपनी जन्मभूमि में श्री सत्यनारायण कथा अवश्य कहनी चाहिए। उन्होंने कहा, “बागेश्वर महाराज ने इस पावन कथा को पुनः जनमानस में जीवंत कर दिया है। मातृभूमि का ऋण तो पूर्ण रूप से कभी नहीं उतारा जा सकता, परंतु श्री सत्यनारायण कथा और भागवत चरित्र श्रवण से उसे कुछ अंश तक अवश्य चुकाया जा सकता है।”

उन्होंने संकल्प लिया कि वे अपनी जन्मभूमि में शीघ्र ही श्री सत्यनारायण कथा का आयोजन करेंगे।

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