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अगस्त का दूसरा सप्ताह देश दुनिया की बडे़ राजनैतिक दावपेच वाला रहा जो मीडिया समाचार पत्र तथा आम जनता की चर्चा बनी।


22- सप्ताह की हलचल :-  
अगस्त का दूसरा सप्ताह देश दुनिया की बडे़ राजनैतिक दावपेच वाला रहा जो मीडिया समाचार पत्र तथा आम जनता की चर्चा बनी।

  1-   ट्रम्प का भारत पर 25℅ टैरिफ फिर 25% पैनल्टी ।     2-   राहुल गाँधी नेता प्रतिपक्ष का इलैक्शन कमीशन, भाजपा पर  वोट चोरी का आरोप।                                                                              3-   रक्षाबंधन   सनातन त्योहार गरीब तथा मध्यमवर्गीय के सहारे बडो़ के लिए स्वार्थ बन रहे त्योहार।                                                                                       1-  सबसे बड़ी चर्चा रही 30 जुलाई 25 को ट्रम्प के भारत पर लगाऐ 25  % टैरिफ की लगाया तथा भारत के द्वारा रूस से तेल लैने से नाराज होकर 25℅  पैनल्टी लगा, बढाकर 50%  कर दिया जो 21 दिन बाद अमरीका की शर्त न मानने पर हमें लगेगा।  यहाँ महत्वपूर्ण यह भी है पाकिस्तान पर 19℅ लगाया गया है। भारत की मोदी सरकार ने प्रतिकार किया कि जब अमेरिका रूस से खाद तथा तेल ले रहा तो हम पर रुस से तेल लैने पर यह पैनल्टी क्यों? मोदी जी तथा ट्रम्प के मधुर संबंध रहे  है, पिछले वार स्टेडियम अमेरिका याद होगा सब को मोदी मोदी,,पर इस बार, पाकिस्तान पर आपरेशन सिन्दूर को लेकर तथा इसे भारत पाकिस्तान के बीच आपरेशन सिन्दूर रोकने का  ट्रम्प द्वारा श्रेय लैने के बाद भारत की सहमति न देने से सम्बन्ध कटु होने लगे थे। प्रधानमंत्री मोदी ने रूस डोभाल को भेजकर अमेरिका से मोह भंग होकर रुस की ओर रुख किया बैसे रूस भारत का मजबूत मित्र रहा है  , पाकिस्तान बगला देश मै विभाजन के समय अमैरिका का पाकिस्तान के पक्ष मै आने पर रुस हमारे पक्ष मै सातवें बेडा को समुद्र मै उतारा था । भारत ने चीन से कटुता के चलते अमेरिका से सम्बन्ध बना शक्ति समानता का प्रयास किया था जो लगता ज्यादा नहीं चलेगा, आज भारत फिर चीन से मधुर संबंध बनाने तथा रुस को मजबूत मित्र बनाने पुरानी कूटनीति पर बढना पढ रहा है। भारत के परमाणु परीक्षण के समय की तरह फिर  इस ट्रेड बार  के समय मजबूत भारत बिना दबाव वाला भारत बनाने की जरूरत है। अमेरिका भारतीय प्रवासियों  को परिवार  विघटन करने पर दबाव भी बना रहा है, जिससे भारत के प्रवासी भारत के साथ खड़े न हो। हमें इस कठिन दौर से बचने के लिए अब ,,क्वालिटी प्रोडक्ट ,,,बनाने की ओर बढना होगा चीन से बहतर बना देश विदेश मै विश्वसनीय बढानी होगी। अभी ट्रम्प भारत की चीन रुस की ओर बढने वाली कूटनीति से फिर नहीं पलटेगा ऐसा नहीं लगता है? आज भले ट्रम्प पाकिस्तान को अपने व्यक्तिगत व्यापार मै उपयोग करना चाहता है इसलिए तथा पाकिस्तान अमेरिका की शरण मै चला गया है, ऐसे भारत पर अमेरिका नहीं ट्रम्प का रवैया सकारात्मक रहने की आशा कम है। भारत पर इस टैरिफ से बहुत असर अमेरिका के विरोधी देश नहीं होने देगें, लैकिन हमें भी अमेरिका के भय से पाकिस्तान की तरह किसी की झोली मै न जाकर नया भारत  महाशक्ति  खड़ा करने की जरूरत है जो मोदी सरकार का मिशन भी है जिसके लिए आज फिर पूरे देश को एक होने की जरूरत है। राजनीति बाद मै होती रहेगी, फिर जिस राह सरकार पकडने जा रही वही नेहरू जी इन्दिरा गान्धी की नीति थी।                                                                  2-   दूसरी आज जो खबर मजबूत स्थान बनाऐ है वह  है, राहुल गाँधी जी का इलैक्शन कमीशन पर आरोप पर आरोप‌!  राहुल जी का दावा आज तब कुछ मजबूत हुआ जब शरद पवार जी ने कहा,, उनसे दो लोग 164 सीटें जिताने की गारन्टी के लिए मिले थे उनने राहुल जी से मिलाया था,,, पर हम दोनों ने ऐसी सम्भावना को अहमियत नहीं दी थी पर आज लगता कि उनके प्रस्ताव मै दम थी क्या। जहाँ राहुल जी ने जो प्रेजेंटेशन देकर निर्वाचन आयोग को कटघरे मै  जिन बिन्दु पर लाऐ यह नया नहीं है। पहले भी एक से अधिक जगह नाम  होना, मरे लोगों के नाम होना तथा वोट तक उनका डलना, यह मेरा व्यक्तिगत अनुभव है 1977 से  अभी तक के चुनाव पूर्व,  मतदाता सूची मै  ऐसे लोगों को मतदाता सूची आते ही हम लाल निसान लगा चिन्हित कर नजर रखते थे।  हमनें तो वह दौर  भी देखा जब गाँव के दवग पोलिंग पर बैठ कर मतदाता को दिखाकर वोट डालने को मजबूर करते थे, तब सुरक्षा के नाम पर चौकीदार नगर सैनिक  होते थै तब बाद मै मतदान के अन्तिम समय गेट बन्दकरा, एक दो  50-50 मतपत्र की  गडडी फाड़ उन पर चिन्ह लगा पेटी मै डाल देते थे पीठासीन मजबूर होकर हस्ताक्षर करता था। उस समय वोट पर डाका डाला जाता था यह भूल रही  कांग्रेस, आज जो चोरी की बात है वह सामान्य था।  मुझे लगता  राहुल जी सरकार को जायज मुद्दे पर घेरकर जनता के बीच जाना चाहिए, इस पैतरे से जनसघ, भाजपा समाजवादी अन्य दल सफल नहीं हुऐ उस समय लूट, हेराफेरी,गलत गिनती के, कांग्रेस पर वोट लूट के आरोप लगाऐ जाते थे। विपक्ष को सफलता तब मिली जब जनता के बीच जाकर सरकार की असफलता तथा जनता की परेशानी मै साथ खड़े हुए। राहुल जी भी निर्वाचन आयोग या न्यायालय जैसी स्वतंत्र सस्था को जनता की नजरों मै कमज़ोर कर लोकतंत्र को कमज़ोर न करें ।                                    ‌‌‌‌                            3-   हर बार की तरह रक्षा बन्धन भी शनिवार का समाचार रहा सोसलमिडिया मै भाई वहिन पवित्र बन्धन लिखा गया? 

रक्षाबंधन से जुड़ी तीन कथाएं हैं:वामनावतार की कथा में, राजा बलि ने १०० यज्ञ पूरे करके स्वर्ग पर अधिकार करने का प्रयास किया। देवताओं के राजा इंद्र ने भगवान विष्णु से प्रार्थना की। विष्णु ने वामन ब्राह्मण का रूप धारण किया और राजा बलि से भिक्षा मांगी। राजा बलि ने अपने गुरु की मना के बावजूद तीन कदम जमीन दान की। भगवान वामन ने तीन कदम में आकाश और पृथ्वी को नाप लिया, जिससे राजा बलि की शक्ति कम हो गई। अपनी भक्ति के बल पर, बलि ने विष्णु से हमेशा अपने सामने रहने का वचन लिया। यह देखकर लक्ष्मीजी चिंतित हुईं। नारद के परामर्श पर, लक्ष्मी ने बलि के हाथ में रक्षासूत्र बांधकर उसे अपना भाई बनाया और विष्णु को अपने साथ ले आईं। दूसरी यह घटना श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन हुई थी। शची देवी और भगवान इंद्र, श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन, इंद्र की पत्नी शची देवी ने राक्षसों से पराजित होने के बाद भगवान इंद्र के हाथ में एक पवित्र धागा बांधा। रक्षासूत्र की शक्ति से भगवान इंद्र ने राक्षसों पर विजय प्राप्त की।-महाभारत में भी रक्षाबंधन का संबंध है। जब युधिष्ठिर ने भगवान कृष्ण से चुनौतियों का सामना करने के तरीके पूछे, तो कृष्ण ने रक्षाबंधन मनाने की सलाह दी। एक अवसर पर, कृष्ण ने शिशुपाल को हराने के लिए अपने सुदर्शन चक्र का उपयोग किया, जिससे उनकी तर्जनी में चोट लग गई। द्रौपदी ने अपनी साड़ी का एक हिस्सा फाड़कर कृष्ण के हाथ में पट्टी बांधी। यह घटना श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन हुई थी। बाद में कृष्ण ने द्रौपदी को दुःशासन के चंगुल से बचाया, जब पांडव जुए में सब कुछ हार गए थे । मुगल काल मै भी कुछ उदाहरण चर्चित है जिसमें रेशमी दो तारों ने सियासत बदल दी थी। पहले ब्राह्मण भी राखी बाधने गाँव नगर मै निकलते थे जिसका आशय था गाय घरती तथा ब्राह्मण की रक्षा सब करें। अब केवल धीरे धीरे  यह भाई का बहिन की रक्षा के लिए बाधा जाने वाला पवित्र बन्धन बन गया। जो आज 60 वर्ष के है उन्हें याद होगा , उनके पिता माताजी की बहिन यदि रक्षाबंधन पर नहीं आती तो दादी कितनी बातें सुनाती थी, न आने पर, तब बहिन शादीशुदा होने बाद भी आने पर यदि चचेरे भाई के नहीं जा पाई सुबह लडने चाचा चाची, सगी या मुहबोली लडने आ जाती थी, वह समय था अपने सगे से ज्यादा दूसरे राखी बांधते थे। उस समय बाधते नहीं गाँव की हर वहिन को अपनी बहिन की नज़र से देखा जाता था। शादी के पहले साल राखी ले जाने का कितना ममत्व का चलन था,आज इसे लडकी बाले लूट कहने लगे, सही है पहले लडका खरीदने मै सब गिरवी हो जाता या विक जाता या जमा पूजी नहीं बचती कि आगे कोई रश्म बेमानी हो जाती है। आज के इस उच्च शिक्षा तथा अर्थ की होड़ के युग मै, दूर के छोड़ सगे बहिन भाई पढाई का नुकसान कह राखी बाधने स्वयं न जाकर  , पोस्ट की राखी और उसमें स्नेह भरी चिट्ठी से नहीं , केवल फुर्सत मै रात बीडियो कालिग से राखी बांध लेते।  आज राखी भी एक बार बाध जीवन भर बाधने की जरूरत नहीं, सुविधा स्वार्थ से एक दो या लाभ होने तक बाधने का नया चलन आ गया है, आपने देखा होगा राजनीति मै लाडली बहनों ने नेताओं को फर्श से अर्श पर पहुचा दिया पर उन बहिनों को भूल गए, सरकार पैसे दे रही माना पर वहिन बोल आपने सुरक्षा का वायदा किया था सोचो आप कर पा रहे शायद नहीं।  मुझे लगने लगा रक्षाबंधन नहीं  सनातन वृत त्योहार अब उच्च शिक्षित, उच्च वर्ग से नहीं ! गरीब तथा मध्यम वर्ग से चल रहे, काबड यात्रा, अमावस्या को जटाशंकर चित्रकूट दर्शन करने जाना, सक्रांति पर गुल्ला ले जाना, होली मनाना दसहरा दीवाली , मौनिया,नवदुर्गा वृत गणेश चतुर्थी हरि तालिका जन्माष्टमी और भी मासिक वृत त्योहार सभी इनके सहारे चल रहे, अमीर तो इन त्योहार पर लूटे कैसे मिलावटी डुप्लीकेट बना यह उनका त्योहार है।   हमारे देश सनातन की बात होती, मन्दिर नये नये बन रहे है, पर मूल यह त्योहार जो सनातन का तानाबाना है टूट रहा है इसलिए समाज मै व्यभिचार बढ रहा है, सनातन को बचाने के लिए इन, हिन्दुस्तान, हिन्दू, उत्सव, स्थान सक्षम लोगों को बचाने की जरूरत है, यह केवल त्योहार नहीं, आर्थिक सरचना के साथ व्यापार के तरीके का आधार है। आप गरीब को सरकार से राहत दे अहसान नहीं कर रहे वे सनातन को इस पैसे सै जिन्दा किऐ है। आइये सब समाज को बाटे नहीं समरसता प्रेम बढाऐ , जाति को नहीं इन्सान को गल लगाएं, राखी बधवा सुरक्षा का बचन दे और लै।  इस सप्ताह इतना  ही, सभी को रक्षाबंधन की हार्दिक शुभकामनाएं। धीरेन्द्र कुमार नायक एडवोकेट छतरपुर  मध्यप्रदेश। 

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