नवरात्रि : विश्व की कुछ सशक्त महिलाओं के महत्वपूर्ण विचार
माँ शक्ति की महिमा को न केवल आरती में गाएं, बल्कि जीवन में उसे साकार करने का प्रयास करें - शशि दीप
इन दिनों हिंदुओं के सबसे प्रमुख त्यौहारों में से एक शारदेय नवरात्रि चल रहा है जो स्त्री के अंदर निहित असीम दिव्य शक्ति समेटे सर्वश्रेष्ठ रूप आदि शक्ति दुर्गा माँ के नौ स्वरूपों की आराधना का उत्सव है। इस प्रकार पूरे नौ दिन के इस उत्सव में भक्ति, समर्पण व त्याग के साथ सार्वभौमिक देवी माँ को पूजा जाता है यह परंपरा बरसों से चल रही है और हम सबने बचपन से यही सुना है कि "लड़कियाँ देवी का रूप होती हैं।" जो कि सच है - हर स्त्री पहले कन्या ही होती है इसलिए महिला बिरादरी किसी भी उम्र में खुद को देवी की तरह ही सम्मान देने की हकदार हैं। मुझे यह अच्छे से एहसास हो चुका है कि मां शक्ति को हम देवी मानकर सिर्फ गाते या पूजते न रहें बल्कि उनकी खूबियों को अपनी रोज़मर्रा की ज़िंदगी में अपना सकते हैं। उनकी दिव्य आभा जो दयालु, धैर्यवान, करुणावान, साहसी, मज़बूत और उदार हैं, उनकी महिमा को सिर्फ गाने के बजाय, खुद में विकसित करने की कोशिश करें? उन्हें कॉपी करने या उनसे अपनी तुलना करने के लिए नहीं, बल्कि सिर्फ खुद को बेहतर बनाने के लिए। इस नवरात्रि, आइए हम अपनी देवी को सिर्फ मूर्ति के रूप में नहीं, बल्कि रोल मॉडल के रूप में देखें। और हम उनकी पूजा और प्रशंसा करते हुए, अपनी ज़िंदगी में उनकी शक्ति, सौम्यता और सकारात्मकता को भी अपनाएँ। ऐसा करके, निसंदेह हम भी वही दिव्य ऊर्जा बिखेरेंगे जो उनमें है। मेरे लिए, यह आत्म-प्रेम का सबसे शुद्ध रूप है - और शायद अपनी देवी का सम्मान करने का सबसे सार्थक तरीका भी।
मैंने दुनिया भर से बहुत सी महिलाएं जो अपने अपने क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान कर रहीं हैं उनके विचार जानने का प्रयास किया जो आगे प्रस्तुत है।
शशि दीप ©✍
विचारक/द्विभाषी लेखिका मुंबई
प्रेस क्लब ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स
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ऑकलैंड न्यूज़ीलैंड से अल्का रोह्ड कहतीं हैं कि "मेरी सभी बहनों, इस धरती पर जहाँ भी हो, जिस भी हालात में हो, मेरी बात सुनो कि तुम अपनी स्वयं की सबसे महान, सबसे तेजस्वी देवी हो, भविष्य में अपने उत्कृष्ट रूप की कल्पना करो व खुद को उस शानदार, दिव्य देवी के रूप में देखो, जो तुम सच में हो। उस अवस्था में सोचकर, अपने सपने पहले ही पूरे करो, क्योंकि उस अवस्था में, तुम सबसे शक्तिशाली, सबसे बुद्धिमान, सबसे सुंदर, राज रानी, सबसे महान और सबसे सर्वोच्च रूप में विद्यमान हो और फिर उससे प्रार्थना करो, उसे ढूंढो। जितना तुम ढूंढोगी, उतनी ही तुम उसके जैसी बनोगी। तुम पहले से ही अपनी स्वयं की महान देवी हो यह कभी मत भूलो।"
प्रो. अल्का रोह्ड
फिज़िक्स विभाग हेड, ऑकलैंड गर्ल्स ग्रामर स्कूल, न्यूज़ीलैंड
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"दुनिया के आधे हिस्से और आधे आसमान के लिए, महिलाओं को सपने देखने और आगे बढ़ने का मौका दें - क्योंकि पूरी दुनिया उनके साथ आगे बढ़ेगी और मानवता की अनंत संभावनाओं को हासिल करेगी।"
कैप्टन शिखा हरने
सीनियर कमांडर, मुंबई
LTC एयर इंडिया
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"नवरात्रि सिर्फ़ एक धार्मिक त्यौहार के तौर पर नहीं, बल्कि महिला सशक्तिकरण के लिए एक शक्तिशाली प्रतीक की याद दिलाता है। नौ दिनों में देवी दुर्गा और उनके नौ दिव्य रूपों की पूजा की जाती है, जिनमें से प्रत्येक शक्ति, ज्ञान, साहस और करुणा का प्रतीक है, जो यह दर्शाता है कि एक महिला इतनी शक्तिशाली होती है कि वह सबसे बड़ी बुराइयों को भी हरा सकती है।नवरात्रि में कन्या पूजन के दौरान छोटी लड़कियों की पूजा की जाती है, जो हमें याद दिलाता है कि हर लड़की ईश्वर का रूप है और वह सम्मान और इज्जत की हकदार है।आइए हम इस संदेश को त्यौहार तक ही सीमित न रखें और हर दिन अपने आस-पास की महिलाओं का समर्थन और उत्थान करते रहें।"
सीमा वाच्छानी (एम एन सी प्रोफेशनल)
पेंसिल्वेनिया (यू एस ए)
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"नवरात्रि का पर्व हर महिला में मौजूद दिव्य शक्ति का स्मरण कराता है और उसकी ताकत, सहनशीलता, समर्पण और नेतृत्व क्षमता का सम्मान है। महिला बिरादरी को अपनी आंतरिक शक्ति को सक्रिय रखते हुए रूढ़िवादी सोच को तोड़, आत्म-सम्मान के साथ आगे बढ़ना है और समाज को उसकी शिक्षा और स्वतंत्रता सुनिश्चित करना है। महिलाएं देवी के नौ रूपों को ज्यादा से ज्यादा धारण करे तो एक संतुलित और न्यायपूर्ण समाज की स्थापना होती है।"
डॉ भाग्यश्री कापसे
डिप्टी म्युनिसिपल कमिश्नर जोन 4
मुंबई
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"महिलाएं विभिन्न क्षेत्रों जैसे राजनीति, व्यवसाय, विज्ञान और शिक्षा में नेतृत्व की भूमिका निभाकर अद्वितीय प्रगति कर रही हैं। महिलाओं को सशक्त बनाना व्यक्तिगत विकास के साथ-साथ सभी के लिए एक उत्कृष्ट दुनिया बनाने के बारे में है, जिससे पूरे समाज को लाभ होता है। आज की महिलाएं विभिन्न क्षेत्रों में सफलता प्राप्त करके शक्तिशाली प्रेरणा के स्रोत के रूप में सामने आई हैं, खासकर युवा लड़कियों के लिए, जिन्हें अब अपने सपने पूरे करने की नई उम्मीद है। सशक्तिकरण की प्रक्रिया में आर्थिक स्वतंत्रता एक महत्वपूर्ण कारक है, जो महिलाओं को अपने और अपने परिवार के लिए सुरक्षित भविष्य बनाने में सक्षम बनाती है।"
एडवोकेट नीना गोयल
फाउंडर हमारा मिशन डिग्निटी
दिल्ली
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"आज के समय में, महिलाएं घरेलू जीवन में अपनी क्षमताओं का प्रदर्शन करने के साथ-साथ बतौर वर्किंग वुमेन भी कई चुनौतियों का सामना कर रही हैं। इसलिए, रूढ़िवादी सोच को तोड़कर महिलाओं को वास्तविक सशक्तिकरण प्रदान करने के लिए अवसर प्रदान करना ही काफी नहीं है, बल्कि उन्हें आत्म-सम्मान, पहचान और समर्थन प्रदान करना मज़बूती देता है और वह दोहरी जिम्मेदारियों के बोझ के बावजूद भी मजबूती से खड़ी रह सकती है तथा उनके सपनों को पूरा करने के लिए प्रेरित करती है।"
लक्ष्मी त्यागी
एयर इंडिया मुंबई
सीनियर एअरक्राफ्ट इंजीनियर
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"नवरात्रि का पर्व हमें याद दिलाता है कि हर बेटी देवी का रूप है। पहले के ज़माने में 90% स्त्री सचमुच देवी के रूप में रहती थीं पर आज सिर्फ 10% बेटियां ही देवी के रूप में रह पा रही हैं। जो कि गलत है विभिन्न क्षेत्रों में आगे बढ़ने मात्र से समाज में सुधार नहीं आ सकता जरूरत है बेटियां सहनशीलता, सामंजस्य और ममत्व की भावना से भी घर परिवार को जोड़कर रखें, वैवाहिक बंधनों की मान मर्यादा समझें, छोटी-छोटी बातों में रिश्ते तोड़ देना, अपने सशक्त होने को गुरुर बना लेना पारिवारिक कलह का कारण बनता जा रहा है। मां दुर्गा हम सभी को सद्बुद्धि प्रदान करें।"
डॉ सुंदरी ठाकुर
फाउंडर- नारी सम्मान संघटना
मुम्बई
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"दुनिया की हर महिला शक्ति और सहनशीलता का प्रतीक है। वो परिवार, समाज और भविष्य की रचयिता है। उसकी आवाज़ बदलाव की सबसे बड़ी ताकत है। सम्मान और समानता उसका जन्मसिद्ध अधिकार है। जब महिला सशक्त होती है, पूरी दुनिया प्रगति करती है। मुझे गर्व हैं कि मैं एक सशक्त और समृद्ध मजबूत महिला हूँ।"
डॉ प्रीति प्रसाद (प्रीत)
लेखिका पत्रकार, मुंबई/बिलासपुर (सी.जी.)
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21वीं सदी में महिलाओं को लिंग समानता लगभग मिल चुकी है लेकिन असली शक्ति दूरदृष्टि और दृढ़ संकल्प से आती है। आज शीर्ष कंपनियों से लेकर स्थानीय आंदोलनों तक, महिलाएं प्रगति की राह पर आगे बढ़ रही हैं फिर भी, चुनौतियाँ हैं - वेतन में अंतर, कम अवसर और सुरक्षा संबंधी चिंताएँ। लेकिन बदलाव हो रहा है वह अपने आत्मविश्वास से हर बाधा को पार करने में सक्षम है और इसीलिए नेतृत्व में भी महिलाओं की भूमिका अब अपवाद नहीं, बल्कि आम बात बन रही है। महिला शक्ति सिर्फ एक सपना नहीं है - यह आज की सच्चाई है, जो अर्थव्यवस्था को भी बेहतर कर रहीं है और समाज को एक उत्कृष्ट रूप देती जा रहीं हैं।
रफत अमीन
इंटीरियर डिजाइनर/सोशल वर्कर
मुंबई
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"स्त्री ही सृष्टि की सर्जक है, वही मानवता की जननी और समाज को भावनात्मक सहारा देने वाली शक्ति है। जीवन की धारा उसके बिना अधूरी है। मेरे लिए महिला सशक्तिकरण केवल एक नारा नहीं, बल्कि वह शक्ति है जिससे हर स्त्री गरिमा, स्वतंत्रता और अपनी पसंद के साथ जीवन जी सके। सशक्तिकरण मन से शुरू होता है — जब स्त्री अपने मूल्य को पहचानती है तो उसकी आवाज़, निर्णय और व्यक्तित्व सब और प्रबल हो जाते हैं। समाज अक्सर त्याग को ही स्त्री की पहचान मानता है, पर मैं मानती हूँ कि वास्तविक शक्ति संतुलन में है — पोषण करने में भी और अपने सपनों के लिए मज़बूती से खड़े होने में भी।सशक्तिकरण कोई मंज़िल नहीं, यह एक दैनिक यात्रा है — जहाँ हर दिन हम आत्मविश्वास को संदेह पर, साहस को भय पर और आत्मसम्मान को चुप्पी पर चुनते हैं।"
मूमल चौहान
सोशल ऑन्टरप्रेनिओर
मुंबई
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दशहरा हमारी समृद्ध भारतीय संस्कृति और परंपराओं का एक भव्य उत्सव है। लेकिन आज, कई महिलाएं काम की वजह से इसे पूरी तरह से नहीं मना पातीं लेकिन व्यस्तताओं के बीच भी हमें इन परंपराओं को आत्मसात करके नवरात्रि में दुर्गा (शक्ति), लक्ष्मी (समृद्धि) और सरस्वती (ज्ञान) का ध्यान कर हुए जीवन में भक्ति, शक्ति और ज्ञान का संचार करते हुए, हर महिला अपनी आंतरिक शक्ति को पहचाने और अगली पीढ़ी को प्रेरित करें।
नित्या अर्चित कृष्णमूर्ति
टेस्ट ऑटोमेशन लीड
चेन्नई
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"नवरात्रि के इस पावन अवसर पर, हम सभी महिलाओं को अपनी अद्वितीय क्षमताओं को पहचान कर स्वयं व एक दूसरे को प्रोत्साहित करना होगा। यह शक्ति हमारे आत्मविश्वास को मजबूत करती है, हमारी आवाज को और बुलंद करेगी और हमारी क्षमताओं को और विकसित करेगी। हमें याद रखना है कि हम सभी अनुकूलनशीता, साहस और दृढ़ संकल्प की मिसाल हैं।"
रवीना घोष, कोलकाता
जर्नलिस्ट
प्रेस क्लब ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स
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"महिलाओं में असीम शक्ति है, लेकिन उनकी सबसे करीबी महिलाएं ही उनकी प्रगति में बाधक बन जाती हैं। समाज में महिलाओं की आपसी ईर्ष्या और नकारात्मकता उनकी सामूहिक उन्नति को रोकती है। हमें एक दूसरे के साथ मिलकर रहना चाहिए।"
डॉ शाश्वती दास
जर्नलिस्ट, कोलकाता
प्रेस क्लब ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स
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जब हम सभी नवरात्रि मनाते हैं, तो हम मां दुर्गा या काली की पूजा करते हैं, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। यह एक ऐसा सफर है जो सभी नकारात्मकता को दूर करता है और आध्यात्मिक विकास और आंतरिक शक्ति पर ज़ोर देता है। हर महिला में मौजूद दिव्य शक्ति को उसकी भलाई के लिए पहचानना और जागृत करना चाहिए। ज्ञान, पवित्रता, सुरक्षा, शक्ति, करुणा, शांति और भक्ति जैसे गुणों को अपनाकर एक महिला अपने जीवन में चुनौतियों से पार पाकर लक्ष्य हासिल करने के लिए प्रेरणा बन सकती है। आइए हम सब जगह प्यार और शांति फैलाएं।
हिल्डा डिसूजा
होम मेकर
मुंबई
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