एक्सपोज़ का काउंटडाउन: भीम आर्मी के ‘आज़ाद’ पर रोहिणी का वार”
इंदौर की डॉ. रोहिणी घावरी ने ट्विटर, नहीं अब जिसे ‘एक्स’ कहते हैं, पर नई प्रकार की ‘घोषणा-ए-क्रांति’ कर दी है । इस बार न संविधान बचाने की, न समाज बदलने की, बल्कि ‘सच्चाई उजागर करने’ की। उनके मुताबिक, कल का सूरज कुछ लोगों के लिए थोड़ा ज़्यादा चुभेगा, क्योंकि उलटी गिनती अब शुरू हो चुकी है।जो मेरी बात को AI या फेक साबित कर सके, उसे मैं दूँगी 1 करोड़ का इनाम, उन्होंने लिखा।
अब यह इनाम सच्चाई के लिए है या सोशल मीडिया ट्रेंडिंग के लिए, यह कल देखना रहेगा।झंडे से रिश्तों तक की यात्रा कभी दलित आंदोलन में साथ खड़े रहने वाले डॉ. रोहिणी घावरी और भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर आज़ाद अब आमने-सामने हैं।
वह दौर गया जब नारे लगते थे “जय भीम, जय भारत”, अब नया नारा लगता है “सत्य वर्सेज़ सोशल मीडिया”।रोहिणी का आरोप है कि आंदोलन के दिनों में ‘आज़ाद’ ने खुद को ‘स्वतंत्र’ तो बताया, पर रिश्ते के बंधन में बाँधकर छोड़ दिया।
वह पीएचडी करने स्विट्ज़रलैंड चली गईं, और इस बीच नगीना से एक नया सांसद जन्म ले चुका था।सांसद बनने के बाद ‘डिलीट मोड’ ऑन?डॉ. रोहिणी कहती हैं, लोकसभा जीतने के बाद नेता जी ने रिश्ते का ‘एंड टू एंड एन्क्रिप्शन’ इतना मजबूत कर लिया कि संदेश तक नहीं पहुँच पाया।
आज़ाद साहब का कहना है कि वे अपना पक्ष अदालत में रखेंगे। उधर रोहिणी का कहना है कि वह समाज के सामने सच रखे बिना चैन नहीं लेंगी।अब यह ‘सच’ कोर्ट में खुलेगा या कैमरे के सामने, इस पर जनता भी विभाजित है कुछ इसे निजी मामला कह रहे हैं, तो कुछ लोकतंत्र में जवाबदेही का विषय।
दिल्ली पुलिस की भूमिका: सुनवाई ऑन होल्ड?
रोहिणी घावरी ने आरोप लगाया कि दिल्ली पुलिस FIR तक दर्ज नहीं कर रही। उनका कहना है, “नेता की सुनो, पीड़िता की नहीं।”अगर उनकी ये बात सच निकली, तो लोकतंत्र में न्याय की गूंज शायद स्विट्ज़रलैंड से ही सुनाई दे।‘रात तीन बजे का सच’ और सोशल मीडिया का शोर रोहिणी ने बताया कि एक वक्त ऐसा था जब नेता जी रात तीन बजे तक रोते, धमकाते और “मत छोड़ो मुझे” जैसी स्क्रिप्ट पर अटके रहते। अब यह भावनात्मक ब्लैकमेल था या पॉलिटिकल स्ट्रैटेजी इसका उत्तर इतिहास ही देगा।उन्होंने यह भी कहा कि अगर FIR दर्ज होती, तो शायद ट्विटर पर #JusticeForRohini की जगह #SilenceForTruth चलता।
इस पूरे घटनाक्रम ने यह दिखा दिया है कि आधुनिक राजनीति में लव स्टोरी भी प्रेस कॉन्फ्रेंस से कम नहीं होती।सवाल सिर्फ यह है कि कल जब रोहिणी अपने तथ्यों का ‘एक्सपोज़’ करेंगी, तब राजनीतिक आज़ादी बड़ी होगी या व्यक्तिगत निजता छोटी?







