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द वायर सहित अन्य न्यूज प्लेटफॉर्म पर रोक लगाने के अलोकतांत्रिक कार्य करने की सरकार विरोधी नीति के खिलाफ प्रेस कौंसिल ऑफ इंडिया को शिकायत

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द वायर सहित अन्य न्यूज प्लेटफॉर्म पर रोक लगाने के अलोकतांत्रिक कार्य करने की सरकार विरोधी नीति के खिलाफ प्रेस कौंसिल ऑफ इंडिया को शिकायत

मुंबई। पत्रकार सुरक्षा और कल्याण के लिए प्रतिबद्ध अखिल भारतीय संगठन "प्रेस क्लब ऑफ वर्किंग जर्नलिस्टस पंजीकृत द्वारा केंद्र सरकार द्वारा निष्पक्ष पत्रकारिता के पक्षधर "द वायर "सहित अन्य न्यूज प्लेटफॉर्म पर रोक लगाने के अलोकतांत्रिक कार्य के विरुद्ध मोर्चा खोला और प्रेस कौंसिल ऑफ इंडिया को शिकायत की।
संगठन की राष्ट्रीय संगठन महासचिव श्रीमती शशि दीप मुंबई द्वारा दी गई जानकारी अनुसार संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉक्टर सैय्यद खालिद कैस एडवोकेट ने प्रेस कौंसिल ऑफ इंडिया को शिकायत करते हुए कहा कि वर्तमान समय में भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर जिस प्रकार शासन प्रशासन और सत्ता के दबाव किसी से छिपा नहीं है। देश भर में निष्पक्ष पत्रकारिता हो या आलोचनात्मक टिपण्णी सरकार के इशारे पर एजेंसियों द्वारा जिस प्रकार मीडिया की आवाज को दबाने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं वह निंदनीय हैं।
गौरतलब हो कि विश्वसनीय लोकतांत्रिक समाज सुनिश्चित करने के लिए मीडिया को अपने कर्तव्यों को सच्चाई और जिम्मेदारी से निभाना चाहिए परन्तु जब मीडिया अपनी जिम्मेदारी और कर्तव्यों का निर्वाहन करता है तो उसको सरकार की दमनकारी नीति का सामना करना पड़ता है।
गत दिनों युद्ध के बहाने तमाम विपक्षी अकाउंट्स और चैनलों के बाद अब जिस प्रकार निष्पक्ष पत्रकारिता के पक्षधर "द वायर" सहित पुण्य प्रसून जोशी व अन्य के न्यूज चैनल्स,प्लेटफॉर्म्स पर हमले दृष्टिगत हो रहे हैं वह चिंतनीय हैं।
संविधान के अनुच्छेद-19 (1) (ए) के तहत भाषण और अभिव्यक्ति की आजादी के मौलिक अधिकार को संरक्षित करने के महत्व पर जोर दिया गया है लेकिन सरकार द्वारा जिस प्रकार देश भर में निष्पक्ष पत्रकारिता एवं आलोचनात्मक टिपण्णी पर हमले किए जा रहे हैं वह लोकतंत्र के चौथे स्तंभ को नुकसान पहुंचा रहे हैं।
पिछले 24 घंटे में कथित मुख्य-धारा के टीवी चैनलों ने युद्ध के कवरेज से जुड़ी हर गाइडलाइन की धज्जियां उड़ाई है। सेना के मूवमेंट के लोकेशन तक साझा किये है,जो युद्ध जैसी परिस्थिति में गंभीर खतरे को आमंत्रित करना है। इससे थोड़ा पीछे लौटे तो पाकिस्तान से गेस्ट बुलाकर उन्होंने अपने ही प्रधानमंत्री को बेहिसाब गालियां पड़वाई हैं। लेकिन चैनलों के सात खून माफ हैं क्योंकि अंतत: सवाल राजनीतिक फायदे-नुकसान के आधार पर बने संबंधों का है।

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