मध्यप्रदेश के छतरपुर शहर की सड़क को एक तरफ़ ट्राफिक पुलिस नगर के कर्मचारियों ने साम के समय जाम कर दिया था मेरी बदर्दी से काटकर हत्या की जा रही थी, मै गिड़गिड़ा कर बचाने की दुहाई दे चिल्ला रहा था। सेकड़ो खड़े लोग तमाशा देख रहे थे हजारों जल्दी मै अपने वाहनों से निकलने की जल्दी मै थे मेरी बेदना कोई नहीं सुन रहा सलाह दे रहे थे यहाँ से काटो जल्दी बजूद मिटेगा , हजारों वर्ष के साथी का आर्तनाद कोई नहीं सुन रहा था । मेरे चिल्लाने पर क्यों रुकते आप आज अर्थ स्वार्थ मै इतने अन्धे हो गये हो कि, मेरी भाषा नहीं समझ सकते एक पल मान लू मुझमें जान है यह तो जानते हो,पर मै बेकार आशा कर रहा था। जब कोई आदमी को आदमी हैबान बन मार रहा होता तब नहीं थमते जब कोई लडका सडको पर दुर्घटना मै आहत बचाने को चिल्लाने लगा रहता तब मदद करने नहीं रुकते यह देख हमारे घर का नहीं, बीडियो बनाते कुछ सरफिरे समय जाया करते रुककर पर अस्पताल नहीं भेजते तो मेरे चिल्लाने पर क्यों रुकोगे? अजीब था । जब मेरे बीज को किसी जानवर पक्षी ने यहाँ धरती माता की छाती पर उगने डाला था तब यहाँ हजारों वर्ष पहले आप के न मकान थे न सड़क, मुझे धरती ने खाद पानी दे बड़ा किया था आप तो क्या यह शहर नहीं था। आप ने बाद मै झोपड़ी गाँव फिर शहर बसाया मुझे अच्छा लगा आपके आने से जब यह सडक बनी कच्ची फिर हजारों बार पक्की तब आप अधिकारी मजदूर को तथा , जब आप मेरे किनारे मकान बना रहे थे मेने आपको शीतल छाया दी थी, आपने धीरे धीरे मकान बड़ा किया बाउंड्री बना सडक चौडी कर मुझे अतिक्रमण मै घोषित कर दिया कितनी साजिश की और मै आपको अपना मानता रहा हूँ । तुम कितने अहसान फरोश हो जब आप बस पर चढने गर्मी पानी मै परेशान दिखते , जब कोई मजदूर गरमी मै पसीने से तर बतर बोझ लादे निकलता था तब ,जब आपके वाहन पन्चर अच्छी गर्मी वारिस मै हो जाते घसीटते मेरे नीचे आते थे तब, हो सकता याद न हो तुम को लेकिन जब अपने परिजनों को कन्धों पर भैसासुर मुक्ति धाम ले जाते थे तब मेरे नीचे आकर पिण्ड दान करते थे , कन्धा बदलते थे , वह तो याद होगा और उक्त हर समय , मै अपने नीचे आश्रय देता हल्की डाली हिला शीतल हवा देता था तुम्हें सुकून देने क प्रयास करता था । पर मै भूल गया, तुम स्वार्थी हो अपने परिजनों जिनने पाला पढाया अपने जीवन की कमाई देकर चले गये उनको कन्धा घर से स्मशान तक नहीं देते, बदलते रहते मेरे इस अप्रत्यक्ष सहयोग को क्या याद रखोगे। मैंने हर समय तुम्हारे हित मै जीवन बचाने लगा रहा कभी नाराज नहीं हुआ जब तुम्हारे घर मै बेटी बेटा के जन्म लेते थे,उस समय मेरी पत्ते बेदरदी से काटने आते थे, चरवा ,, चढाने मै प्रकृति औषधि एकत्र कर अपने पत्तों को देता आपकी मा दादी पर दादी...... को स्वस्थ करने मै और तुमारे घर की खुशी मै सहयोग करता था।, तुम मेरे शरीर की गोद पत्ती लकड़ी का उपयोग रोगी को बचाने मै औषधि बनाने मै करते रहे मै कष्ट सह खुशी से देता रहा। मै गर्मी मै तुम्हरी डिब्बे मै पानी दिन रात ढोने का दर्द देख, वारिस मै ऊपर से निकलते मेघ से बिनय करता था यहाँ बरसों जरूरत है, वे वरसते थे मेरी मानते थे तुम्हारी नहीं सुनते मेघ आप भूल गए मेरी बहिन नदी से पानी लाकर मदमस्त मुझे काट रहे हो पर हम न रहेगे कटते रहेगे तो नदी मै पानी नहीं होगा क्यों कि मेघ के समीप कान मै कह बुलाने बाला नहीं होगा । आप भुल्लकड हो पुरानी बातों को याद नहीं रखते तीन साल पहले जब तुम भगवान् बनना चाहते थे याद है, तुमने अपनी गलती से कोबिड या करोना वायरस अपने मरने के लिए बना लिया, महामारी से दुनिया का मानव जीवन का अन्त दिख रहा था, तुम तब आक्सीजन का सिलैंडर के लिए अपने प्रियजनों को बचाने दौड़ रहे थे तब मै तुम्हारे बचाने के लिए पूरी ताकत से आक्सीजन बना कर तुम्हारी जान बचा रहा था। आज नहीं मै मेरे परिवार के हमेशा तुम्हें जीवन ओषधियाँ आक्सीजन देते हैं पर तुम बहुत अहसान फरामोश हो,। मुझे काटकर फैक दिया हसी आ रही अब बृक्षारोपक्ष का चोचला कर रहे हो, तुमने जब खुद अतिक्रमण कर मुझे अतिक्रमण मै बना मार दिया तो तुम क्या हमें लगाओगे तुम 50 दसक से वृक्षारोपण के नाम पर धन खाकर घर भर रहे हो, तुम निर्दयी स्वार्थी तथा अन्याय करने वाले हो, मै प्रकृति हूँ कभी तूफान बाढ़ का रौद्र रूप दिखा समझाने का प्रयास करती हूँ,, पर ना समझ है, भूल जाते, तुम किसके लिए यह भ्रष्टाचार अन्याय का धन जोड रहे सब यही रहेगा तुम मुझ मै खाक होकर या दफन हो कर मिल जाओगे। मै प्रकृति माता हूँ मै छत्रसाल चौराहे, जवाहर रोड के मे मेरे बिजावर नाका के हजारों वर्ष पुराने मेरे अग काटने का कष्ट सह सकती,पर तुम्हें नष्ट होने का श्राप नहीं दे सकती ? माँ हूँ, न पूत कपूत हो सकता माता कुमाता नहीं होती। -मित्रो पुराना बिजावर नाका के हजारों वर्ष पुराने नीम पेड को जिला प्रशासन, नगर पालिका द्वारा काटते समय बगल का अतिक्रमण हटा या विकल्प बना पेड बचा सकते थे पर हमारी नियत अन्धी है प्रकृति को काटने मै विश्वास करते विकास की अन्धी दौड मै, यह सोच बदलो नही तो बूद बूद पानी, को तरसोगे काटने का विकल्प बदलो मैंने देखा अनेक मकान जो सीमित प्लाट मै पेड होने पर पेड़ न काट पेड़ को छाट कर , तथा उसके मुताबिक मकान का नक्सा डिजाइन कर बनाया गया है, तो यह तो सडक थी पेड बीच कर चौराहे को डिजाइन कर दरख़्त बचा बचा सकते थे । धीरेन्द्र कुमार नायक एडवोकेट छतरपुर मध्यप्रदेश।