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किताबों की वेस्टेज बचाकर हम पेड़ कटाई को कम कर सकते हैं!

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पर्यावरण दिवस 2025 पर विशेष



जून के महीने में जैसे ही नए शैक्षणिक सत्र की तैयारी शुरू होती है, पुराने किताबों को रुख़सत होना पड़ता है। मेरे जुड़वा बच्चे अब बड़े हो गए हैं लेकिन मैंने उनकी कक्षा 9 वीं से 12 वीं की ढेरों किताबें अब तक सम्भाल कर रखी थी लेकिन अब उनकी दूसरी किताबें और समान इतने हो गए हैं कि न चाहते हुए उन्हें अलविदा कहना होगा। बच्चों की किताबें उनके विकास के हर पड़ाव की यादें संजोए होती हैं, इसलिए इनके साथ एक भावनात्मक जुड़ाव होना स्वाभाविक है हालांकि, जब घर में जगह की कमी हो और नई किताबों की जरूरत पड़े, तो पुरानी किताबों को रद्दी में देना एक अत्यंत कठिन निर्णय हो सकता है। 

इसी ऊहापोह में मैंने पहले फोटो खिंचकर कुछ व्हाटसप समूहों में साझा किया ताकि किताबें दूसरों के काम आ जाए, और उन्हें सही हाथों में दिया जा सके हालांकि, जब कोई विकल्प नहीं बचा, तो क्या करें। 10 हज़ार से अधिक रकम और बेशकीमती यादों से लबरेज़ इन किताबों को8 महज 500 रूपये में बेचनी पड़ी। हर साल इन किताबों के बंडल को विदा करते हुए मुझे बहुत दुख होता है और बहुतों को भी होता होगा कि इतने सारे फ्रेश किताबों को हमें डिस्कार्ड करना पड़ता है।

हमारी शिक्षा प्रणाली में किताबों के पुन: उपयोग और संरक्षण के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है। हर साल बड़ी संख्या में किताबें बेकार जाती हैं, जो न केवल आर्थिक नुकसान का कारण बनती हैं, बल्कि पर्यावरण पर भी नकारात्मक प्रभाव डालती हैं।

किताबों का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल किया जा सके यह अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसके लिए शिक्षा संस्थानों और सरकार को मिलकर काम करना होगा। जैसे स्कूलों और कॉलेजों में किताबों का आदान-प्रदान करने की व्यवस्था की जा सकती है। पुरानी किताबें दूसरे छात्रों को दान में दी जा सकती हैं। और स्कूल से खरीदने को वैकल्पिक रखें।

हर साल किताबों की प्रिंटिंग की भी बचत होगी और काग़ज़ की खपत कम होने से पेड़ों की अन्धाधुन्ध कटाई भी कम होगी। पर्यावरण दिवस पर पेड़ लगाने और हरियाली दिखाने से अधिक महत्वपूर्ण है कि हम अपने दैनिक जीवन में पर्यावरण की रक्षा के लिए ठोस कदम उठाएं। किताबों की वेस्टेज बचाकर हम पेड़ कटाई को कम कर सकते हैं और पर्यावरण को संरक्षित कर सकते हैं।

शशि दीप ©✍

विचारक/ द्विभाषी लेखिका

मुंबई

shashidip2001@gmail.com

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