बुंदेलखंड की डायरी
बुंदेलखंड: 21वीं सदी में भी 18वीं सदी जैसे हालात, नेताओं की सियासत और विवाद बने सुर्खियाँ
रवीन्द्र व्यास
देश जहाँ 21वीं सदी की तरक्की की ओर बढ़ रहा है, वहीं बुंदेलखंड में कई घटनाएं ऐसी सामने आ रही हैं, जो यह सोचने पर मजबूर करती हैं कि यहाँ कुछ लोग अब भी 18वीं सदी जैसी मानसिकता में जी रहे हैं। बुंदेलखंड की राजनीति और समाज इन दिनों लगातार विरोधाभास की तस्वीर पेश कर रहे हैं। एक ओर धार्मिक धाम और उत्सव विकास की छवि दे रहे हैं, तो दूसरी ओर जातिगत हिंसा, दल-बदल और सांप्रदायिक तनाव समाज को पीछे खींच रहे हैं।
जातिगत तनाव: दलित युवक की पिटाई
निवाड़ी जिले के कंचनपुर गांव से चिंता बढ़ाने वाला मामला सामने आया। यहाँ एक दलित युवक अनुज खंगार ने इंस्टाग्राम पर अपने नाम के साथ "राजा" लिख दिया। इस छोटे-से कदम पर गाँव के कथित ‘राज पुत्र’ बिफर गए और युवक को इतना पीटा कि उसकी हड्डी तक टूट गई। धमकियों के बावजूद युवक ने साहस दिखाते हुए थाने में शिकायत दर्ज कराई और एसपी से न्याय भी माँगा। यह घटना आज भी उस सामाजिक मानसिकता को उजागर करती है, जो सदियों पहले की सामंती व्यवस्था में देखने को मिलती थी।
दल-बदल विवाद: बीना विधायक निर्मला सप्रे पर संकट
सागर जिले की बीना से कांग्रेस विधायक चुनी गईं निर्मला सप्रे 2024 लोकसभा चुनाव के दौरान अचानक भाजपा खेमे में चली गईं। बिना इस्तीफा दिए सत्तारूढ़ दल से नज़दीकी बढ़ाना उनके लिए राजनीतिक संकट का कारण बना।संविधान की दसवीं अनुसूची के तहत दल-बदल विरोधी प्रावधानों का उल्लंघन मानते हुए नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार द्वारा सदस्यता रद्द करने का अनुरोध विधान सभा अध्यक्ष से किया गया था |संविधान के अनुसार अध्यक्ष को ९० दिन के अंदर निर्णय लेना होता है ,जब लोकतांत्रिक पीठ से न्याय नहीं मिला तो उन्होंने याचिका इंदौर हाईकोर्ट में दायर की थी,| नेता प्रतिपक्ष की याचिका को क्षेत्राधिकार के आधार पर खारिज कर दिया गया। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यह मामला जबलपुर खंडपीठ के अधिकार क्षेत्र में आता है। न्याय पीठ की ये तकनीकी अड़चन न्यायिक प्रक्रिया को लंबा खींचती है और दल-बदल जैसे गंभीर मुद्दे को ठोस निर्णय से वंचित रखती है।
हेमंत खंडेलवाल के भारतीय जनता पार्टी के नए प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद वे उनसे मिलने भोपाल पहुंची | हालांकि उनकी यह मुलाकात ऐसे ही नहीं हुई थी , इसके पीछे बड़ा करना बीना के बीजेपी कार्यकर्ताओं की नाराजगी प्रमुख वजह बताई गई थी । असल में बीना और सागर के कार्यकर्ता यह समझ ही नहीं पा रहे हैं कि वह बीजेपी के साथ हैं अथवा कांग्रेस के साथ | हालांकि उनके फेसबुक वाल से पता चलता है कि उनकी नजदीकियां बीजेपी से ज्यादा हैं | विधायक होने के बावजूद सप्रे की पहचान 'राजनीतिक शरणार्थी' जैसी बन रही है।दोनों पार्टियों के बीच लटकी रहने से उनकी विश्वसनीयता पर असर पड़ रहा है। अब यदि भाजपा ने स्वीकार नहीं किया और कांग्रेस से तिरस्कार जारी रहा, तो उन्हें स्वतंत्र विकल्प चुनना पड़ सकता है या किसी अन्य छोटे दल का सहारा लेना पड़ सकता है।असमंजस की स्थिति में रहने से उनकी साख तो खत्म हो ही रही है , स्थानीय स्तर पर उनके समर्थक और भाजपा के लोग उनसे दूरी बनाए हुए हैं |
धार्मिक रंग में सियासत: ललिता यादव का आयोजन
छतरपुर में श्रीकृष्ण जन्मोत्सव और मटकी फोड़ समारोह का आयोजन हुआ, जिसकी अगुवाई विधायक और पूर्व मंत्री ललिता यादव ने की। मंच पर मुख्यमंत्री मोहन यादव की मौजूदगी ने इस आयोजन को खासा राजनीतिक बना दिया। कहा जाने लगा कि यह कार्यक्रम धार्मिक कम और यादव समाज का शक्ति प्रदर्शन अधिक रहा। मुख्यमंत्री ने हालांकि मंच से साफ संदेश दिया कि श्रीकृष्ण किसी एक जाति या समाज के नहीं, बल्कि पूरे समाज के आराध्य हैं।
श्रीकृष्ण धाम का भूमि-पूजन
अपने दौरे के दौरान मुख्यमंत्री ने नौगांव रोड पर बनने वाले श्रीकृष्ण धाम का भूमि-पूजन किया। लगभग 2.20 करोड़ की लागत से बनने वाला यह धाम श्रद्धालुओं के लिए बड़ा स्थल होगा।
यहाँ कृष्ण जन्म से लेकर रासलीला तक की झलकियां दिखाई जाएंगी, बेटी विवाह वाटिका बनाई जाएगी और ध्यान केंद्र भी स्थापित किया जाएगा।
देवरी पालिका अध्यक्ष को राहत
सागर की देवरी नगर पालिका अध्यक्ष नेहा अल्केश जैन को हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली। उन पर वित्तीय अनियमितताओं और गबन के आरोप लगे थे, लेकिन अदालत ने कहा कि सिर्फ संदेह किसी निर्वाचित प्रतिनिधि को हटाने का आधार नहीं हो सकता। अदालत ने उन्हें पद पर बने रहने का आदेश दिया है। राजनीतिक हलकों में माना जा रहा है कि इस विवाद के पीछे स्थानीय विधायक ब्रज बिहारी पटेरिया और भाजपा के अंदरूनी मतभेद बड़ी वजह बने।
सांप्रदायिक तनाव: ‘सर तन से जुदा’ विवाद
सागर शहर में ईद-ए-मिलाद के जुलूस के दौरान ‘सर तन से जुदा’ जैसी नारेबाजी होने से माहौल बिगड़ गया। वीडियो वायरल होने के बाद हिंदू संगठनों ने कड़ी आपत्ति जताई और आरोपियों पर एफआईआर की मांग की। पुलिस अब वीडियो के आधार पर पहचान कर रही है।
यह विवाद उस इलाके में हुआ जिसे शहर का संवेदनशील केंद्र माना जाता है। जनसंख्या आंकड़ों में मुस्लिम समाज की बढ़ती संख्या को लेकर फैली आशंकाओं ने भी तनाव को हवा दी।
कबड्डी मैच पर राजनीति
निवाड़ी जिले में लड़के-लड़कियों की संयुक्त टीम का कबड्डी मैच हुआ, जिसे लेकर राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया। भाजपा ने इसे खेल भावना का प्रतीक बताया, जबकि कांग्रेस ने इसे भारतीय संस्कृति के विरुद्ध ठहराया।
नियमों की स्पष्टता के अभाव में यह विवाद और बढ़ गया और खेल भी राजनीतिक खींचतान का हिस्सा बन गया।
बुंदेलखंड की राजनीति और समाज इन दिनों लगातार विरोधाभास की तस्वीर पेश कर रहे हैं। एक ओर धार्मिक धाम और उत्सव विकास की छवि दे रहे हैं, तो दूसरी ओर जातिगत हिंसा, दल-बदल और सांप्रदायिक तनाव समाज को पीछे खींच रहे हैं।

