जीवन की अस्थिरता की याद दिलाता है गणेश विसर्जन
गणपति बप्पा का आगमन और उनका विसर्जन मानवीय भावनाओं को जीवन की सच्चाइयों के प्रति तैयार करने का एक दिव्य माध्यम है, जो हमें जीवन की अस्थिरता की याद दिलाता है। हमारे हृदय में बप्पा विराजमान हैं, और हमारे घरों में उनकी मूर्तियां हमें पल-पल उनकी उपस्थिति की याद दिलाती हैं। लेकिन मानवीय भावनाओं को एक संतुलन में रखने के लिए यह 10 दिन का उत्सव हमें जीवन की सच्चाइयों को समझने और जीवन मृत्यु के चक्र को स्वीकार करने की प्रेरणा देता है।
उत्सव के दरमियान, अनेक प्रिय जनों के घर विराजमान अद्भुत, अलौकिक, दिव्य गणपति बप्पा के विभिन्न रूपों का दर्शन करने का सुअवसर मिला, लड्डू, मोदक, भिन्न-भिन्न स्वादिष्ट पकवान खाए, अपने काम्प्लेक्स में पधारे गणपति बप्पा के स्वागत में पांच दिनों तक सांस्कृतिक कार्यक्रम के आयोजन में मुख्य किरदार निभाने का अवसर मिला, इन सब गतिविधियों के साथ गणपति दर्शन करते हुए कुछ पलों के लिए आत्म चिंतन करना, गंभीरता से उत्सव के भाव को समझना अंतर्मन को ईश्वर की भक्ति और सकारात्मक ऊर्जा से सराबोर करता रहा। अंत में यही स्मरण रखना अनिवार्य है कि समस्त परिवार व समाज के साथ आपसी मनमुटाव को त्याग साथ मिलजुल कर खुशियां मनाने और अपने अंदर की नकारात्मक भावनाओं को त्याग नवीन ऊर्जा के साथ अपने जीवन यात्रा में आगे बढ़ते रहना है। गणपति उत्सव निसंदेह हमें अपने व्यक्तिगत संबंधों को मजबूत बनाने और समाज/राष्ट्र स्तर पर इंसानी रिश्तों में प्रगाढ़ता लाने की प्रेरणा देता है। सच्चे भक्तगण गणपति जी की शारीरिक संरचना में निहित आध्यात्मिक गुणों को समझने के लिए उनकी बाह्य संरचना और आंतरिक दिव्यता पर ध्यान केंद्रित करते हैं, जिससे वे उन गुणों को अपने व्यक्तित्व उन्नयन के लिए उपयोग कर सकें। गणपति बप्पा मोरया, अगले बरस तू जल्दी आ।
-- शशि दीप ©
विचारक/ द्विभाषी लेखिका
मुंबई
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