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राजनीति और परंपरा के बीच बुंदेलखंड

 बुंदेलखंड की डायरी 




राजनीति और परंपरा के बीच बुंदेलखंड

  सागर से फरीदाबाद तक, जहां आस्था, व्यंग्य और सत्ता आमने-सामने चलते हैं

रवीन्द्र व्यास 

बुंदेलखंड की मिट्टी इस हफ़्ते भी मौन नहीं रही। कहीं नेता खोजे जा रहे हैं, कहीं आस्था की आरती गूंज रही है, और कहीं सिविल ड्रेस में आई कहानी जांच-परख से पहले ही वायरल हो चुकी है। यह वही धरती है जहां लोक रीति और राजनीति, दोनों एक ही छतरी में सिर झुकाकर चलते हैं।

सागर: लापता नेता और जनता की खोज अभियान

सागर में कांग्रेस ने विचारधारा की नहीं, बल्कि नेताओं की लोकेशन खोजने की मुहिम शुरू कर दी। शहर की दीवारों पर चिपके पोस्टर पूछ रहे हैं  कहीं देखा है इन्हेंइनमें भाजपा सांसद, विधायक और महापौर के फोटो भी हैं।

जनता मुस्कराई, आखिर किसी ने तो पूछा कि हमारे नेता आख़िर दिखते कहां हैं। मोतीनगर से धर्मश्री तक सड़क चौड़ीकरण के नाम पर हुई बुलडोजर कार्रवाई में गरीबों के घर मिटे, मगर अमीरों की दीवारें टिकी रहीं। विडंबना यह कि पूरा विवाद विधायक के अपने वार्ड से उठा और वे खुद लापता सूची में शामिल पाए गए।

जब कार्यकर्ता धरने के लिए उनके घर पहुंचे, तो विधायक अचानक प्रकट हुए और जनता ने सीख ली  राजनीति में गायब होना भी प्रचार का हिस्सा है। 

दमोह: वीडियो, सस्पेंस और सिविल ड्रेस वाले सज्जन

दमोह का घटनाक्रम किसी राजनीतिक थ्रिलर से कम नहीं। युवक राघवेंद्र का दावा है कि उसे सिविल ड्रेस वाले कुछ लोग उठा ले गए, 15 किलोमीटर दूर वीडियो मिटाओ क्लास हुई, और बाद में पता चला कि वे तो पुलिसकर्मी थे।

असल में सारा विवाद शुरू हुआ था मंत्री जी पर  शराब बिक्री के  आरोप को लेकर ।

इधर राज्य मंत्री धर्मेंद्र सिंह ने फेसबुक पर लाइव होकर वीडियो को फेक बताया, और चेतावनी दी कि सरकार बदनाम करने वालों पर कार्रवाई होगी।

'सरकार को बदनाम करोगे तो पड़ेंगे डंडे'उन्होंने लाइव में कहा कि जो लोग अनर्गल टिप्पणियां कर उन्हें या सरकार को बदनाम करने की कोशिश करेंगे, उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी होगी और डंडे भी पड़ेगे। मंत्री ने आगे कहा कि पुलिस की कार्रवाई फेसबुकिया पर हुई है। मंत्री ने कहा में मेरे पिता और मैं खुद नशा मुक्त हूं। जब भगवती मानव संगठन राजनीतिक दल नहीं था, तब में उसका सदस्य भी रहा था

सोशल मीडिया पर बहस छिड़ी  मंत्री लोग भी तो फेसबुक पर ही बोलते हैं, तो फिर जनता की पोस्ट पर डंडा क्यों?

अब प्रदेश में हर वीडियो खुद खबर बन सकता है  राजनीति अब बयानबाजी से नहीं, कैमरा एंगल से चल रही है।

खजुराहो: जब पूजा और प्रतिबंध आमने-सामने आए

विश्व प्रसिद्ध खजुराहो में  सीजेआई पर जूता फेंकने वाले  अधिवक्ता राकेश किशोर ने श्री मतंगेश्वर महादेव मंदिर में आरती   के बाद कहा  मंदिरों में प्रदर्शन नहीं, दर्शन होने चाहिए।

उन्होंने ASI द्वारा पूजा रोकने को परंपरा पर प्रहार बताया और खंडित मूर्तियों की पुनः प्राणप्रतिष्ठा की वकालत की।उन्होंने  जवारी मंदिर में भगवान विष्णु की खंडित मूर्ति के दर्शन किए और कहा कि ऐसी मूर्तियों की पुनः प्राण-प्रतिष्ठा कर पूजा प्रारंभ की जानी चाहिए, क्योंकि खंडित विग्रहों की पूजा शास्त्र सम्मत नहीं है।

स्थानीय संतों और संगठनों ने खजुराहो बचाओ अभियान के माध्यम से यह संदेश दिया कि यह नगरी केवल स्थापत्य कला नहीं, बल्कि जीवित परंपरा की आत्मा है।

वहीं उन्होंने सैन्य एयरबेस की योजना को सांस्कृतिक खतरा बताते हुए विकल्प स्थल की मांग की।

 भापेल का फुलेर मेला तालाब में भरा आस्था का जल

 बुंदेलखंड में कार्तिक मास की अपनी अनोखी परम्पराएं हैं  सागर जिले के भापेल गांव की पहाड़ी पर इस बार भी कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर 300 वर्ष पुराना बाबा फूल नाथ का फुलेर मेला सजा।

कहते हैं बाबा ने अपने तपस्थल पर खोदे इस तालाब को आशीर्वाद दिया था कि यह कभी सूखेगा नहीं  और आज भी उसका जल इस कथन को सत्य बनाता है।

मन्नत पूरी होने पर भक्त घंटा चढ़ाते हैं या मुंडन संस्कार करवाते हैं। बुंदेली बरेदी नृत्य, भजन, मिठाई और हस्तशिल्प की गूंज इस मेले को आस्था और लोकजीवन दोनों को  उत्सव बना देती है।

 

पदयात्रा में बढ़ते कदम: बागेश्वर महाराज और जनश्रद्धा

फरीदाबाद से निकली सनातन हिंदू एकता पदयात्रा दिन-ब-दिन भावनाओं का विराट संगम बनती जा रही है। बागेश्वर धाम के पीठाधीश पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री भक्ति और संगठन के सूत्र में लाखों श्रद्धालुओं को जोड़ रहे हैं।

वे कहते हैं मेहनत और पुरुषार्थ ही आने वाली पीढ़ियों को सुरक्षित रखेगा। यात्रा में वे घायलों की खुद मरहम-पट्टी करते हैं, युवा कदम मिलाते हैं, और महाराज नगाड़ा बजाकर झूम उठते हैं।

भक्तों के बीच क्रिकेटर शिखर धवन, उमेश यादव, महाबली खली तक शामिल हुए। केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने भी महाराज का आशीर्वाद लिया इस तरह राजनीति और संत समाज बिना आमंत्रण के फिर आमने-सामने आ गए।

अंततः 

सागर नेता ढूंढ रहा है, दमोह सच्चाई, खजुराहो पूजा की स्वतंत्रता, और भापेल लोक सांस्कृतिक संतुलन।

बुंदेलखंड की डायरी बस यही कहती है  यहाँ हर पोल के पीछे एक पोस्टर, हर मंदिर के पीछे एक विवाद, और हर यात्रा के पीछे एक विश्वास खड़ा है।

राजनीति, लोक संस्कृति और श्रद्धा  तीनों मिलकर इस भूभाग को बार-बार उसी सवाल तक ले आती हैं  कहां है असली जागरण, और कौन है वास्तव में लापता’?

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