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सती चरित्र सुनकर भाव विहल हुूये श्रोता बाल ब्यास पार्थ वीर की चल रही कथा

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सती चरित्र सुनकर भाव विहल हुूये श्रोता बाल ब्यास पार्थ वीर की चल रही कथा


पन्ना। मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड के प्रशिद्ध पन्ना शहर के श्री जुगुल किशोर जी मंदिर में आयोजित श्रीमद्भगवत कथा के तीसरे दिन कथा सुनाते हुए कथा वाचक बाल व्यास पार्थ वीर ने बताया कि किसी भी स्थान पर बिना निमंत्रण जाने से पहले इस बात का ध्यान जरूर रखना चाहिए कि जहां आप जा रहे है वहां आपका, अपने इष्ट या अपने गुरु का अपमान हो। यदि ऐसा होने की आशंका हो तो उस स्थान पर जाना नहीं चाहिए। चाहे वह स्थान अपने जन्म दाता पिता का ही घर क्यों हो। कथा के दौरान सती चरित्र के प्रसंग को सुनाते हुए भगवान शिव की बात को नहीं मानने पर सती के पिता के घर जाने से अपमानित होने के कारण स्वयं को अग्नि में स्वाह होना पड़ा।


कथा में उत्तानपाद के वंश में धुव््रा चरित्र की कथा को सुनाते हुए समझाया कि धुव््रा की सौतेली मां सुरुचि के द्वारा अपमानित होने पर भी उसकी मां सुनीति ने धैर्य नहीं खोया जिससे एक बहुत बड़ा संकट टल गया। परिवार को बचाए रखने के लिए धैर्य संयम की नितांत आवश्यकता रहती है। भक्त धुव््रा द्वारा तपस्या कर श्रीहरि को प्रसन्न करने की कथा को सुनाते हुए बताया कि भक्ति के लिए कोई उम्र बाधा नहीं है। भक्ति को बचपन में ही करने की प्रेरणा देनी चाहिए। क्योंकि बचपन कच्चे मिट्टी की तरह होता है, उसे जैसा चाहे वैसा पात्र बनाया जा सकता है। कथा के दौरान उन्होंने बताया कि पाप के बाद कोई व्यक्ति नरकगामी हो, इसके लिए श्रीमद् भागवत में श्रेष्ठ उपाय प्रायश्चित बताया है। अजामिल उपाख्यान के माध्यम से इस बात को विस्तार से समझाया गया साथ ही प्रह्लाद चरित्र के बारे में विस्तार से सुनाया और बताया कि भगवान नृसिंह रुप में लोहे के खंभे को फाड़कर प्रगट होना बताता है कि प्रह्लाद को विश्वास था कि मेरे भगवान इस लोहे के खंभे में भी है और उस विश्वास को पूर्ण करने के लिए भगवान उसी में से प्रकट हुए एवं हिरण कश्यप का वध कर प्रह्लाद के प्राणों की रक्षा की। कथा के दौरान भजन गायको ने भजनों की प्रस्तुति दी। संगीतमय भागवत कथा को सुनकर श्रोतागण भाव विभोर हो रहे हैं। बाल व्यास पार्थवीर शुक्ला द्वारा भक्ति किस प्रकार प्राप्त होती है इसका मार्मिक तरीके से वर्णन किया गया है, जिसको सुनकर श्रोतागण भाव विभोर हो गए।


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